बीएचयू में कथक नृत्य से किया मंत्रमुग्ध, मंच पर नाटक का जीवंत मंचन
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय संगीत एवं मंच कला संकाय एवं संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की ओर से प्रातिज्ञ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। इसके बाद दीप प्रज्वलन के लिए पद्मभूषण डॉ उमा शर्मा, गुरू सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, प्रो. संगीता पंडित ,गुरू प्रेम चंद होम्बल, संगीत नाटक अकादमी की ओर से सुमन कुमार तथा कार्यक्रम की संयोजिका डॉ विधि नागर द्वारा किया गया। इसके पश्चात सुमन कुमार ने स्वागत भाषण दिया।
पद्म भूषण डॉ. उमा शर्मा कथक नृत्यांगना एवं कोरियोग्राफर ने कथक विषय पर सुंदर व्याख्यान एवं प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके शिष्य सुकृति, अनुष्का दत्ता गुप्ता, डॉ. उमा शर्मा को 1973 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और पद्मभूषण 2001 में सम्मानित होने वाली सबसे कम उम्र की नर्तकी बनीं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और साहित्य कला परिषद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इनके साथ संगतकार में तबले में थे तरुण परिहार, हार्मोनियम एवं गायन में आनंद कुनाल मुखर्जी थे तथा स्पैशल इफैक्ट योगराज पवार द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विष्णु स्त्रोतम से हुई। फिर राम वंदना, देवी स्तुति, अपने कंपोजिशंस अपने शिष्यों द्वारा प्रस्तुत किया। पंडित बिरजू महाराज के साथ अपनी यादों को भी सांझा किया। दूसरी प्रस्तुति सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ की थी। सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ एक बेहतरीन अभिनेता, लेखक और फिल्म निर्माता हैं, जिन्हें अक्सर दूरदर्शन के 'ए' ग्रेड अभिनेता के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, वह एक लघु फिल्म “द बाईपास” में भी दिखाई दिए, जिसने मिलान फिल्म फेस्टिवल में स्टाफ अवार्ड जीता। उनकी संस्कृत फिल्म “भगवद गीता: सॉन्ग ऑफ द लॉर्ड” ने गोल्डन लोटस अवार्ड जीता और माननीय राष्ट्रपति से संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने नाटक भगवदंकजूंक , मुंतजिर तथा शिकस्त प्रस्तुत किया। उनके साथ श्रीमती मृदुला भारद्वाज, विकेश बाजपाई,विनेक कुमार मिश्रा, नीतिश भारद्वाज, कोमल सिंह संगत में थे।