काशी विद्यापीठ के इतिहास विभाग में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ, छात्रों का होगा कौशल विकास 

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के इतिहास विभाग में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ शनिवार को किया गया। आई हब दिव्यसंपर्क आईआईटी रुड़की एवं विज्ञान व तकनीकी विभाग,भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में अनुसूचित जाति के छात्र एवं छात्राओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया गया है। मुख्य अतिथि अंकित कुमार, फाउंडर एवं सीईओ, एडुविटी सर्विस, एवं कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों को पुष्प गुच्छ,स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्रम देकर उनका स्वागत और सम्मान किया गया। 
 

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के इतिहास विभाग में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ शनिवार को किया गया। आई हब दिव्यसंपर्क आईआईटी रुड़की एवं विज्ञान व तकनीकी विभाग,भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में अनुसूचित जाति के छात्र एवं छात्राओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया गया है। मुख्य अतिथि अंकित कुमार, फाउंडर एवं सीईओ, एडुविटी सर्विस, एवं कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों को पुष्प गुच्छ,स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्रम देकर उनका स्वागत और सम्मान किया गया। 


मुख्य अतिथि अंकित कुमार ने कार्यक्रम के रूपरेखा पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि इस  कोर्स के अंतर्गत पाइथन, डाटा साइंस, वेब टेक्नोलॉजी आदि विषयों पर व्याख्यान दिया जाएगा। स्किल यानी कि कौशल जो व्यक्ति को किसी भी काम को बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनाता है और यह कौशल किसी भी व्यक्ति में जन्म के साथ नहीं होता, बल्कि इसे सीखना पड़ता है। कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि आज के समय में कंप्यूटर की जानकारी सभी को होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे सीखने के लिए किसी डिग्री की नहीं बल्कि अक्षर का ज्ञान आवश्यक है। वर्तमान समय में स्किल रोजमर्रा के जीवन की उपयोगिता है। प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय तक वैल्यू एडिशनल प्रोग्राम की महती उपयोगिता है। विज्ञान की तुलना में सामाजिक विज्ञान के लिए यह ज्यादा उपयोगी है, क्योंकि विज्ञान वाले तो इसे अनिवार्य रूप से सीख लेते हैं किंतु सामाजिक विज्ञान के छात्र इससे वंचित रह जाते हैं। विभिन्न भाषा के अध्ययन के लिए भी स्किल की जानकारी आवश्यक है। 


उन्होंने कहा कि ज्ञान में समग्रता आवश्यक है। प्राचीन समय में ऋषियों को सभी कुछ की जानकारी थी तभी भारत विश्व गुरु बना था। इस दौरान आईआईटी बीएचयू से आनंद मिश्रा, जयेस गट एवं सचिन कुमार भी रहे, जो आगे आने वाले दो सप्ताहों में विद्यार्थियों को अध्यापन कराएंगे। इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया कुमारी आर्यन ने अतिथियों का स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में कुलानुशासक प्रोफेसर अमिता सिंह, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर दानपति तिवारी, प्रोफेसर शेफाली ठकराल,  प्रोफेसर आनंद शंकर चौधरी, डॉ. अनीता, डॉ. वीरेंद्र प्रताप, डॉ.गोपाल यादव, डॉ. शैलेश कुमार, डॉ. अलका पांडे, डॉ. अंजू, डॉ. प्रिया श्रीवास्तव,डॉ. मनोज सिंह, डॉ.अनिरुद्ध तिवारी एवं विभिन्न विभागों के अध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.अंजना वर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.रविंद्र कुमार गौतम ने किया।