एक दिसंबर से शुरू होगा कालाजार मुक्त अभियान, घर-घर जाकर मरीजों की करेंगे पहचान
वाराणसी। जिले में कालाजार उन्मूलन के उद्देश्य से एक दिसंबर से काशी विद्यापीठ, हरहुआ, और सेवापुरी ब्लॉकों के चुनिंदा गांवों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत हरपालपुर, केशरीपुर, खुलासपुर, परमानंदपुर, बिचलापुर, रामडीह, मटुका, और अर्जुनपुर गांवों में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर 14 दिनों से अधिक समय से बुखार से पीड़ित मरीजों की पहचान करेंगी। मरीजों की आरके 39 किट से जांच की जाएगी। लोगों को रोग से बचाव के उपाय भी बताए जाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि 2030 तक कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है। वर्तमान में वाराणसी में कोई कालाजार मरीज नहीं है। यह रोग जीनस लेशमेनिया नामक परजीवी से फैलता है और समय पर इलाज न होने पर पीकेडीएल (पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमेनियासिस) में बदल सकता है। इसके लक्षणों में लंबे समय तक बुखार, वजन में कमी, तिल्ली का बढ़ना, त्वचा का सूखना और रक्ताल्पता शामिल हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. शरद चंद पांडेय ने बताया कि 10,000 की आबादी पर एक से कम मरीज होने की स्थिति को उन्मूलन मानक माना गया है, जिसे वाराणसी ने प्राप्त कर लिया है। 2019 तक केवल दो गांव कालाजार प्रभावित थे। इनमें हरपालपुर और अर्जुनपुर शामिल थे, लेकिन अब इन गांवों में भी कोई मरीज नहीं है। रोग वाहक बालू मक्खी को खत्म करने के लिए प्रतिवर्ष दो चरणों में इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (IRS) किया जाता है। अभियान के दौरान रोगियों की पहचान, उपचार और रोकथाम को प्राथमिकता दी जाएगी।