महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल के दूसरे दिन संगीत और संवादों में गूंजा कबीर का दर्शन

 

वाराणसी। महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल के भव्य उद्घाटन के बाद 20 दिसंबर को इसका दूसरा दिन भी यादगार रहा। इस दिन कबीर के जीवन, दर्शन और काव्य को समर्पित कार्यक्रमों के माध्यम से संगीत, विचार और भक्ति का सुंदर संगम देखने को मिला। शहर के ऐतिहासिक स्थल गुलेरिया कोठी और शिवाला घाट कबीर की वाणी से गूंज उठे।

सुबह गुलेरिया कोठी में ‘सबलाइम मॉर्निंग्स’ सत्र के तहत स्वाति तिवारी ने भारतीय शास्त्रीय गायन से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद प्रसिद्ध सितार वादक हिदायत हुसैन ख़ान ने अपने मधुर सितार वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दोपहर के ‘इवोकेटिव आफ़्टरनून्स’ सत्र में ‘कबीर द जुलाहा: वर्सेज़ फ्रॉम द लूम’ के अंतर्गत शिवांगिनी और ईशा प्रिया सिंह की प्रस्तुति ‘ढोलक रानी’ ने कबीर को एक संत के साथ-साथ कारीगर के रूप में भी सामने रखा।

शाम होते ही कार्यक्रम शिवाला घाट पहुंचा, जहां ‘इक्लेक्टिक ईवनिंग्स’ सत्र में लोक कलाकार महेशा राम ने मेघवाल समुदाय की परंपराओं से जुड़ी ‘कबीर बानी’ प्रस्तुत की। इसके बाद प्रसिद्ध गायक राहुल देशपांडे की सशक्त गायकी ने माहौल को और भावपूर्ण बना दिया।

इस अवसर पर महिंद्रा समूह के वाइस प्रेसिडेंट एवं कल्चरल आउटरीच के हेड जय शाह ने कहा कि कबीरा फ़ेस्टिवल संस्कृति को संवाद और साझा समझ का सशक्त माध्यम बनाता है। कबीर की वाणी आज भी सत्य, समावेशिता और करुणा का रास्ता दिखाती है। वहीं टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने कहा कि यह फ़ेस्टिवल कबीर के साथ एक निरंतर संवाद है, जो हमें गहराई से सुनने और निडर होकर सवाल करने की प्रेरणा देता है।

सार्वजनिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ फ़ेस्टिवल में आगंतुकों के लिए विशेष विरासत भ्रमण और मंदिर दर्शन भी आयोजित किए गए। इन अनुभवों के माध्यम से लोगों ने वाराणसी की गलियों, घाटों, भोजन और शिल्प के साथ उस सांस्कृतिक वातावरण को महसूस किया, जिसने कबीर के विचारों को आकार दिया।

दो प्रेरक दिनों के बाद अब महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल 21 दिसंबर को अपने अंतिम दिन में प्रवेश कर रहा है, जहां कबीर की शाश्वत और परिवर्तनकारी विरासत से जुड़ने के और भी गहन अनुभव लोगों को मिलने वाले हैं।