इर्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के साथ आशय पत्र पर किए हस्ताक्षर
वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर- एनबीपीजी आर) के साथ आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए हैं। नई दिल्ली में स्थित इर्री के राष्ट्रीय कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में इर्री ने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईसार्क), वाराणसी के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह और आईसीएआर-एनबीपीजीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने इस आशयपत्र पर हस्ताक्षर किए।
आईसीएआर और इर्री के बीच 1974 के मौजूदा समझौता ज्ञापन (एमओए) एवं इसी वर्ष 19 अप्रैल को दोनों संस्थानों के महानिदेशकों के बीच हस्ताक्षरित कार्य योजना के दायरे में चावल आनुवंशिक संसाधनों से संबंधित अनुसंधान और विकास कार्यों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इस आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, “इस आशय पत्र के ज़रिये इर्री एवं आईसीएआर के बीच इस साल अप्रैल में हस्ताक्षरित हुए कार्य योजना के अनुसार भारतीय चावल जर्मप्लाज्म के संयुक्त मूल्यांकन में प्रगति को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही, मुझे उम्मीद है कि यह समझौता अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान संबंधों को भी सुविधाजनक बनाएगा और दोनों संस्थान कृषि अनुसंधान के विभिन्न विषयों में शोध और प्रशिक्षण के लिए पारस्परिक समर्थन प्रदान करने में तत्पर रहेंगे।” इस एलओआई के माध्यम से, आईआरआरआई और आईसीएआर ने पोषण संबंधी गुणों और प्रमुख कृषि संबंधी विशेषताओं के लिए भारतीय चावल जर्मप्लाज्म के संयुक्त मूल्यांकन, विशेष चावल सहित उच्च मूल्य वाले चावल जर्मप्लाज्म के पारस्परिक आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और प्रयोगशाला और क्षेत्र सुविधाओं को साझा करने और विकास पर सहयोग को बढ़ावा देने और पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों के अनुसार सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर सहमति व्यक्त की है।
इर्री का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. सुधांशु सिंह ने इस आशय पत्र के तहत वर्णित सहयोग क्षेत्रों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, “इर्री की ओर से मैं सबसे पहले भारत सरकार के द्वारा हमे चावल अनुसंधान एवं विकास कार्य हेतु मिलने वाले समर्थन का आभार व्यक्त करता हूं। वाराणसी स्थित इर्री के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में उच्च गुणवत्ता वाले पारंपरिक चावल के अनाज और पोषण गुणवत्ता प्रोफाइल के विकास, चावल में पोषण गुणवत्ता में सुधार, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स चावल में अनुसंधान, भारी धातु संदूषण, चावल मूल्य श्रृंखला पहलुओं और चावल आधारित उत्पाद विकास आदि गतिविधियों पर बहुत सक्रियता से कार्य किया जा रहा हैं। मुझे आशा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ हमारे मौजूदा संबंधों को इस आशय पत्र से और मजबूती मिलेगी एवं दोनों संगठनों को भारत में चावल जर्मप्लाज्म संवर्धन और उपयोग के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए नई संभावनाओं और अवसरों में उद्यम करने में मदद मिलेगी।
समारोह में आईसीएआर-एनबीपीजीआर की तरफ से जीनोमिक संसाधन प्रभाग के प्रमुख डॉ. राकेश सिंह एवं जीनोमिक मूल्यांकन प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राज कुमार चौहान मौजूद रहे। साथ ही इर्री के डॉ. यू.एस. सिंह, सलाहकार एशिया और अफ्रीका डॉ. विजया मर्थी, राष्ट्रीय समन्वयक, डॉ. सौरभ बडोनी, वैज्ञानिक; डॉ. एंथोनी फुलफोर्ड, मृदा वैज्ञानिक, डॉ. शीतल शर्मा, वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक; डॉ. सी. वी. प्रकाशन, सामाजिक वैज्ञानिक और इर्री दिल्ली कार्यालय के अन्य टीम सदस्य भी हस्ताक्षर समारोह में उपस्थित रहे।