काशी में अंतरगृही परिक्रमा यात्रा, उमड़ा आस्थावानों का रेला, जन्म-जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति
वाराणसी। मणिकर्णिका से संकल्प लेकर मंगलवार को अंतरगृही परिक्रमा यात्रा शुरू हुई। इसमें आस्थावानों का रेला उमड़ा। श्रद्धालु महिलाएं अस्सी-लंका से मड़ुवाडीह होते हुए सराय मोहना की तरफ चल पड़ीं। ऐसी मान्यता है कि काशी में अंतरगृही यात्रा से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
अंतरगृही यात्रा के लिए सोमवार की रात से ही महिलाएं मणिकर्णिका घाट पहुंच गईं। मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी तीर्थ पर स्नान और मणिकर्णिकेश्वर महादेव के के दर्शन-पूजन कर मध्यरात्रि के बाद से ही अंतरगृही परिक्रमा यात्रा पर महिलाएं निकल पड़ीं। इसके पूर्व ज्ञानवापी में पंच विनायकों के दर्शन के बाद बाबा विश्वनाथ के मुक्ति मंडप में संकल्प लेकर मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान किया। इस यात्रा के दौरान कई तीर्थों की परिक्रमा की गई। सिर पर गठरी और कंधे पर झोला लिए परिक्रमा पथ पर निकलीं महिलाओं की कतार लगी रही। यात्रा के दौरान महिलाएं जगह-जगह रुककर विश्राम करती रहीं। परिक्रमा यात्रा के चलते कई मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रही।
मान्यता है कि सिद्धि विनायक के बाद कंबलेश्वर, अश्वतरेश्वर, वासुकीश्वर का दर्शन करते हुए रेला आगे बढ़ता है। इस दौरान काशी में अलग-अलग स्थानों पर स्थित 75 पौराणिक तीर्थों की परिक्रमा की जाती है। इसके बाद मुक्तिमंडप में ही पहुंचकर अंतरगृही परिक्रमा यात्रा पूरी होती है। परिक्रमा यात्रा से जन्म-जन्मांतर के मन, वचन व कर्म से किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।