BHU में अंतरराष्ट्रीय़ संगोष्ठी, वक्ता बोले, समूचे विश्व को परिवार समझना हमारी परंपरा का महत्वपूर्ण अंग
वाराणसी। बीएचयू में यूनिवर्सिटी आफ बाथ स्पा यूके से आए रिचर्ड कैरीज व मालवीय अनुशीलन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें रीइमेजिनिंग प्लेनेटरी : प्लानेटारिटी एंड अर्थ फैमिली विषय पर चर्चा की गई।
पहले दिन शुक्रवार को उद्घाटन सत्र का शुभारंभ महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। कुलगीत के उपरांत विभागाध्यक्ष अनीता सिंह ने स्वागत वक्तव्य दिया। प्रो. मिथिलेश कुमार पांडेय ने कार्यक्रम की अवधारणा स्पष्ट की। उद्घाटन वक्तव्य देते हुए प्रो. किशोर मिश्र ने कहा कि संपूर्ण विश्व को परिवार समझना, हमारी परंपरा का महत्वपूर्ण अंग रहा है। प्रकृति लेखन के लिए दो बार बीबीसी वाइल्डलाइफ पुरस्कार से सम्मानित, प्रख्यात लेखक- आलोचक डॉ रिचर्ड कैरीज ने अपने वक्तव्य से सभी को विचार मंथन करने पर बाध्य कर दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक, टिमोथी क्लार्क आदि को उद्धृत करते हुए विचार स्पष्ट किया। साथ ही, उन्होंने अपनी एक लघुकथा का पाठ भी किया। अंत में मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. संजय कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रथम सत्र का समापन हुआ। संचालन डॉ. धृति आर दलाई ने किया।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता नंदिनी देव, राजनीति विज्ञान विभाग, लेहाई विश्वविद्यालय, यूएसए ने की। इस सत्र में अंग्रेज़ी विभाग, पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय के प्रो डॉ. रंजन घोष ने प्लास्टिक प्लेनेटेरिटी पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने मानव पत्थरों पर कौन सी विरासत छोड़ कर जाएगा के प्रश्न पर विचार करते हुए, प्लास्टिक और प्रकृति के नव संबधों पर प्रकाश डाला। सत्र के द्वितीय वक्तव्य के रूप में प्रो. सुमना रॉय, अंग्रेजी और रचनात्मक लेखन विभाग, अशोका विश्वविद्यालय ने धरती और भावनाओं के अंतर्संबंध पर विचार किया। उनका कहना था कि यह महज संयोग नहीं हो सकता था कि भूमि और भावना, दोनों ही भू धातु से विकसित हैं। इस सत्र का संचालन डॉ ब्यूटी यादव ने किया।
अगले दो दिनों में सम्मेलन में नेपाल से राजकिशोर सिंह, अमेरिका से मेरेडिथ स्टिंगर, श्रीलंका से डॉ. निम्मी एन मेनिके और डॉ. नंदका मदुरंगा जैसे अंतरराष्ट्रीय विद्वान अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस आयोजन में लगभग 300 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी भाग ले रहे हैं।