आधुनिक उपनिषद के समान है एकात्म मानवतावाद, पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर व्याख्यान

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर दीनदयाल उपाध्याय पीठ व स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें दीनदयाल के एकात्म मानवतावाद के सिद्धांत को लेकर चर्चा की गई। वक्ताओं ने एकात्म मानववतावाद के सिद्धांत को आधुनिक उपनिषद के समान बताया। 
 

वाराणसी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर दीनदयाल उपाध्याय पीठ व स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें दीनदयाल के एकात्म मानवतावाद के सिद्धांत को लेकर चर्चा की गई। वक्ताओं ने एकात्म मानववतावाद के सिद्धांत को आधुनिक उपनिषद के समान बताया। 

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. वी रघुपति ने कहा कि एकात्म मानवतावाद आधुनिक उपनिषद के समान है। अर्थ, काम, मोक्ष को धर्म से जुदा होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाह, काशी प्रांत, डॉ राकेश तिवारी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने वक्तव्य में कहा कि उद्योग व देश के विकास हेतु ग्रामीण स्वावलंबन सिद्धांतों को आचरण में उतारने की जरूरत है। इस चीज को दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से सीखा जा सकता है। मुख्य अतिथि डॉक्टर सर्वेश पांडेय, विचार विभाग प्रमुख,उत्तर प्रदेश क्षेत्र,स्वदेशी जागरण मंच ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षा व्यवस्था का प्रमुख कार्य आपसी बाधाओं को तोड़ना है। सामान्य प्रवृत्ति से अलग होकर सोचा है। भारत परिवार आधारित उद्यमिता के कारण विश्व का एक तिहाई उत्पादन करता था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पीठ के समन्वयक प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय पद हेतु राजनीति नहीं करते थे। इसी कारण उन्हें महात्मा गांधी व विनोबा भावे की श्रेणी में रखा जाता है। श्री उपाध्याय की रहस्यमई मौत की भी बात उन्होंने की।