काशी की तंग गलियों में शाही नाले पर बने मकान, सीवर ओवरफ्लो से जनता परेशान

शहर की सीवर व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले शाही नाले पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए गए। इसकी वजह से जलनिकासी में अवरोध आ रहा है और गणेश दीक्षित लेन में सीवर ओवरफ्लो की समस्या खड़ी हो गई है। पिछले एक माह से अधिक समय से क्षेत्रवासी इस समस्या को झेल रहे हैं। इसी मार्ग पर थोड़ा आगे जाकर आदिशक्ति के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का प्रसिद्ध मंदिर भी पड़ता है। सीवर के गंदे पानी से होकर श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन को जाने को मजबूर हैं। लगातार समस्या झेल रहे मोहल्लेवासियों में आक्रोश है। लोगों ने नगर निगम से समस्या के समाधान की मांग की है। 
 

वाराणसी। शहर की सीवर व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले शाही नाले पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए गए। इसकी वजह से जलनिकासी में अवरोध आ रहा है और गणेश दीक्षित लेन में सीवर ओवरफ्लो की समस्या खड़ी हो गई है। पिछले एक माह से अधिक समय से क्षेत्रवासी इस समस्या को झेल रहे हैं। इसी मार्ग पर थोड़ा आगे जाकर आदिशक्ति के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का प्रसिद्ध मंदिर भी पड़ता है। सीवर के गंदे पानी से होकर श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन को जाने को मजबूर हैं। लगातार समस्या झेल रहे मोहल्लेवासियों में आक्रोश है। लोगों ने नगर निगम से समस्या के समाधान की मांग की है। 


काशी में राजा सुरजन सिंह ने 350 साल पहले हाथी नाले का निर्माण कराया था। उसे अब लोग शाही नाले के नाम से जानते हैं। स्मार्ट सिटी के कार्य के समय इस नाले से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई। स्थानीय लोगों के अतिक्रमण की वजह से शहर के गणेश दीक्षित लेन में पिछले 50 दिनों से सीवर ओवरफ्लो की समस्या है। पिछले 50 दिनों से लोग इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं। इसको लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं किया गया। 


स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 30 साल पहले भी इस तरह की समस्या पैदा हुई थी। उस बार क्षेत्रीय लोगों ने स्वयं प्रयास कर इस समस्या ठीक कराई थी। इस बार भी जनप्रतिनिधि व प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। इसको लेकर लोग नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। लोगों का कहना रहा कि दिनोंदिन समस्या गंभीर होती जा रही है। ऐसे में नगर निगम और जलकल विभाग को इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल समाधान कराना चाहिए।