हनुमान जयंती पर काशी में उमड़ेगा आस्था का सैलाब, श्री हनुमान ध्वजा यात्रा 22वें वर्ष में रचेगी इतिहास, मांस-मदिरा मुक्त काशी के लिए उठेगी आवाज़
यात्रा की शुरुआत 12 अप्रैल को भिखारीपुर तिराहे से सुबह षोडशोपचार पूजन और आरती के साथ होगी। हजारों श्रद्धालु इस पावन यात्रा में हिस्सा लेकर नंगे पांव संकट मोचन हनुमान जी के दरबार तक पहुंचकर दर्शन लाभ लेंगे। यात्रा का समापन संकट मोचन मंदिर पर होगा, जहां भक्तजन प्रभु के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित करेंगे।
इस भव्य आयोजन में महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों के श्रद्धालु शिरकत करेंगे। मिर्जापुर, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, चंदौली और गोरखपुर जैसे पूर्वांचल के जिलों से भी भारी संख्या में भक्त पहुंचेंगे। आयोजकों के अनुसार, इस वर्ष यात्रा में 20,000 से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
यात्रा में 2,200 भक्तों के हाथों में बजरंगबली की प्रतीक गदा होगी, वहीं आकाश में लहराते 5,100 ध्वज भक्तों की भक्ति की ऊंचाई को दर्शाएंगे। साथ ही शिव का विशाल त्रिशूल और महाबली हनुमान का 21 फुट का गदा इस यात्रा के विशेष आकर्षण होंगे।
भक्तों की सेवा के लिए भिखारीपुर तिराहे से लेकर संकट मोचन मंदिर तक 250 से अधिक सेवा स्टॉल लगाए जाएंगे, जहां फल, मिठाई, जूस, लस्सी, छाछ, पानी, कोल्ड ड्रिंक, फलाहार और ड्राइफ्रूट की व्यवस्था होगी। इन सेवाओं का संचालन भी पूरी तरह भक्तों और स्थानीय समाजसेवियों द्वारा किया जाएगा।
हनुमान ध्वजा यात्रा में "अभियान पवित्र काशी" के समर्थन में एक विशेष झांकी भी शामिल की जाएगी, जिसमें श्रद्धालु काशी को मांस-मदिरा मुक्त बनाने की शपथ लेंगे। यह झांकी काशी के आध्यात्मिक गौरव को पुनः स्थापित करने का संदेश देगी।
वाराणसी शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के आठ सब-कार्यालयों जैसे रामसिंहपुर, अदलपुरा, कोनिया, शिवरतनपुर, लखरांव, बजरडीहा और डाफी से भी श्रद्धालु अपनी झांकियों के साथ इस यात्रा में सम्मिलित होंगे। झांकियों में राम दरबार, शिव-पार्वती, हनुमान जी जैसे सजीव दृश्य भक्तों को अध्यात्म से जोड़ेंगे।
भक्तों के लिए प्रसाद स्वरूप 1001 किलोग्राम लड्डू तैयार किए जा रहे हैं, जो यात्रा के अंत में वितरित किए जाएंगे। यह प्रसाद यात्रा की भव्यता और भक्ति की मिठास को और बढ़ाएगा।
इस ऐतिहासिक यात्रा की अगुवाई संत, महंत, बैरागी, दंडी स्वामी, वैष्णव और शैव संप्रदाय के प्रमुखों के साथ-साथ वाराणसी के विशिष्ट जन करेंगे। इस यात्रा के माध्यम से काशी एक बार फिर धर्म, सेवा और सामाजिक चेतना का सशक्त संदेश पूरे देश को देगी।