सं.सं.वि. के 41 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल करेंगी ऑनलाईन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र लैब का उद्घाटन

 

वाराणसी। प्राच्या विद्या के सिद्धपीठ के रूप में सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी अपने गौरवशाली परम्पराओं को अक्षुण्ण रखते हुये अहर्निश सेवा पथ पर अग्रसर है।

सन् 1791 में संस्कृत पाठशाला या संस्कृत कालेज के रूप में स्थापित यह संस्था 22 मार्च, 1958 से वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय एवं 1973 से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में अनेक सोपानों को पार करते हुये सम्प्रति अपनी स्थापना के उ‌द्देश्यों की पूर्ति में अग्रसर है। वर्तमान में इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हमारे संस्कृत महाविद्यालय उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों तथा नई दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, लेह एवं अरुणाचल प्रदेश आदि में संचालित है।

विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह अत्यन्त गरिमामय होता है। संस्कारों में अति महत्वपूर्ण है। ब्रहाचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम में प्रवेश का मार्ग भी दीक्षान्त ही है। इस वर्ष विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षान्त महोत्सव 25 नवम्बर 2023 को विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक मुख्य भवन में सुबह 11.00 बजे मनाया जा रहा है, जिसमें कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महामहिम आनन्दीबेन पटेल अध्यक्षता करेंगी। कुलाधिपति एवं राज्यपाल के द्वारा इस समारोह में ऑनलाईन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के लैब का उद्‌द्घाटन / लोकार्पण किया जायेगा।

संक्षिप्त परिचय- इस केन्द्र की स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से एक करोड़ सोलह लाख रूपये का बजट स्वीकृत कर देश विदेश में भारतीय ज्ञान परम्परा के व्यापक प्रचार प्रसार की दृष्टि में किया गया है। इस केन्द्र के माध्यम से घर बैठे प्राच्य विद्या के विभिन्न पाठ्यक्रमों से जुड़ कर शास्त्रों के विभिन्न आयामों का अध्ययन किया जायेगा। इस केन्द्र के अन्तर्गत दस पाठ्यकमों का संचालन कमशः संस्कृत भाषा शिक्षण, अर्चक, कर्मकाण्ड, ज्योतिष वास्तु विज्ञान, योग, व्याकरण दर्शन, वेदान्त एवं अनेकों ऐसे विषय हैं, जो रोजगार एवं जनोपयोगयी है।

समारोह के मुख्य अतिथि परम सम्माननीय शिक्षाविद् राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, मुख्य अतिथि के रूप में दीक्षान्त भाषण करेंगे।

संक्षिप्त परिचय- आपका जन्म 10 जुलाई 1973 को बैंगलोर में हनुमंत वरखेडी के घर पर हुआ था। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा गृह जनपद में होने के उपरान्त आपने अनेक सोपानों का पार करते हुये अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी वर्तमान में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति के पद पर आसीन है, जो संस्कृत में उच्च शिक्षा का एक प्रमुख संस्थान है और आपने 2017 से 2022 तक कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय और गोडवाना विश्वविद्यालय, गढ़चिरौली में कुलपति के रूप में कार्य किया तथा कर्नाटक विश्वविद्यालय के आप कार्यवाहक कुलपति भी रह चुके हैं। आपने कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय, बैंगलोर, कर्नाटक में शास्त्र संकार्य के प्रोफेसर और डीन के रूप में कार्य किया है।

शैक्षणिक क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान एवं उपलब्धियाँ आप संरकृत कम्प्यूटेशनल भाषा विज्ञान के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है। आपकी वर्तमान रूचीयों में संस्कृत शिक्षाशास्त्र, संस्कृत के लिये ई-भंडार, शतस की अनुसंधान पद्धति और भाषा दर्शन है। वह ज्ञान की पारंम्परिक प्रणालियों और आधुनिक सोच के बीच संवाद में लगे हुये है। आपके पास राष्ट्रीय और अर्न्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 30 से अधिक प्रकाशन है।

सम्मान व पुरस्कार- आपको महर्षि बादरायण व्यास सम्मान-2008 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया पुरस्कार है और वर्ष 2013 में स्वामी चिन्मयानन्द अनुसंधान स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। संस्कृत व भारतीय ज्ञान प्रणाली के क्षेत्र में आपके काम के लिये कई पुरस्कार एवं उपाधियां मिली है। हाल ही में आपको माननीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका हैं तथा कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, महाराष्ट्र के दीक्षान्त समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा डी लिट् की उपाधि प्रदान की गयी है।