काशी के घाटों पर पाठशाला, विशेषज्ञ सिखाएंगे प्राचीन ब्राह्मी लिपि, भारत का इतिहास जान सकेंगे युवा  

देश की अतिप्राचीन ब्राह्मी लिपि से अब लोग भी रूबरू होंगे। काशी में इसको लेकर पहल की जा रही है। ब्राह्मी लिपि विशेषज्ञ डा. मुन्नी पुष्पा जैन और डा. इंदु जैन राष्ट्रगौरव अस्सी से राजघाट तक गंगा घाटों पर पाठशाला की शुरूआत की है। दोनों विशेषज्ञ घाटों पर आने वाले हर खास और आम को ब्राह्मी लिपि बताएंगी। 
 

वाराणसी। देश की अतिप्राचीन ब्राह्मी लिपि से अब लोग भी रूबरू होंगे। काशी में इसको लेकर पहल की जा रही है। ब्राह्मी लिपि विशेषज्ञ डा. मुन्नी पुष्पा जैन और डा. इंदु जैन राष्ट्रगौरव अस्सी से राजघाट तक गंगा घाटों पर पाठशाला की शुरूआत की है। दोनों विशेषज्ञ घाटों पर आने वाले हर खास और आम को ब्राह्मी लिपि बताएंगी। 

वाराणसी के अस्सी घाट से ब्राह्मी लिपि प्रशिक्षण की शुरूआत हो चुकी है, जो अलग-अलग घाटों पर लगते हुए राजघाट तक पहुंचेगी। ब्राह्मी लिपि की कार्यशाला पहले दिन बीएचयू, विद्यापीठ और हरिश्चंद्र महाविद्यालय के साथ ही बाहर से आए पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया। लोगों ने ब्राह्मी लिपि का नियमित अभ्यास करने का संकल्प लिया। 


संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जैन दर्शन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर फूलचंद्र जैन की प्रेरणा और मार्गदर्शन से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। डा. मुन्नी पुष्पा जैन ने बताया कि गंगा तट पर अब नियमित कार्यशाला आयोजित होगी। ब्राह्मी लिफि सीखकर युवा देश के प्राचीन शिलालेखों को स्वयं पढ़ सकते हैं और गौरवशाली इतिहास को जान व समझ सकते हैं।