ई-रिक्शा चालकों का आंदोलन जारी, विधायक सौरभ का आश्वासन भी नहीं आया काम, स्वयं से बनाए नये रूट पर चलने की प्रशासन से मांग
1. पहला प्रस्ताव: इंग्लिशिया लाइन से साजन चौराहा, सिगरा, रथ यात्रा, गुरुबाग, कमच्छा, भेलूपुर होते हुए लंका तक वन-वे रूट निर्धारित किया जाए और इसी रूट से वापसी भी हो। सिगरा और रथ यात्रा पर महमूरगंज के लिए कोई राइट कट न हो।
2. दूसरा प्रस्ताव: कैंट के पास पीलर संख्या 67-70 के सामने स्थित नगर निगम का पार्क, जो बेकार पड़ा है, उसे ई-रिक्शा पार्किंग के रूप में विकसित किया जाए।
3. तीसरा प्रस्ताव: स्मार्ट सिटी के पीलर संख्या 32 के पास फ्लाईओवर के नीचे हमें एक स्टैंड प्रदान किया जाए, जहां से क्रमबद्ध तरीके से ई-रिक्शा निकल सकें, क्योंकि स्मार्ट सिटी न तो वहां बाजार चला पा रही है और न ही बिजली के बिल का भुगतान समय पर कर रही है।
4. चौथा प्रस्ताव: रोडवेज की बसें सवारी भरने का काम सड़क पर करने की बजाय अपने बस स्टैंड के भीतर ही करें।
5. पाँचवां प्रस्ताव: मैदागिन और बेनिया से आने वाले ई-रिक्शा मलदहिया चौक से लोहामंडी तिराहा होते हुए पंचवटी मंदिर से होकर रोडवेज की गली से मुख्य सड़क पर जाएं।
6. छठा प्रस्ताव: चौकाघाट और अंधरा पुल से आने वाले ई-रिक्शा प्रताप होटल के पास से परेड कोठी होते हुए मरी माई मंदिर तक जाएं।
7. सातवां प्रस्ताव: कैंट स्टेशन से पैदल यात्रियों के लिए एक सब-वे का निर्माण किया जाए।
प्रवीण काशी का कहना है कि यदि प्रशासन ई-रिक्शा चालकों से विचार-विमर्श करे, तो हम यातायात विभाग से बेहतर समाधान दे सकते हैं, जिससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या सुलझेगी बल्कि सभी की रोजी-रोटी भी चलेगी। रूट विभाजन से जाम की समस्या हल नहीं होगी, बल्कि गलियों में रहने वाले लोगों के लिए यह परेशानी और दुर्घटनाओं का कारण बनेगा।
कैंट स्टेशन के सामने फ्लाईओवर के नीचे की जगह स्मार्ट सिटी के पास है, जहाँ बाजार घाटे में चल रहा है और बिजली का बिल भी समय पर जमा नहीं किया जा रहा है। यह भी ट्रैफिक जाम के प्रमुख कारणों में से एक है। शुकवार को अनशन स्थल पर ई-रिक्शा विक्रेता एजेंसियों के मालिक, जिनमें नौशाद, सुनील सिंह, अमित, अखिलेश, विशाल, रितेश कुमार गुप्ता, ताहिर आदि शामिल हैं, प्रवीण काशी का समर्थन करने पहुंचे।
प्रवीण काशी का कहना है कि जब तक ई-रिक्शा चालकों को उनके पुराने रूट वापस नहीं मिलते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। रूट विभाजन से चालकों की आय खत्म हो जाएगी, जिससे हजारों परिवार भूखमरी का शिकार हो सकते हैं। कहा कि यदि यह रूट विभाजन जारी रहा, तो गलियों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन कठिन हो जाएगा, जिससे काशी क्षेत्र के लोग इसका कड़ा विरोध करेंगे।