अस्सी घाट पर अतिक्रमण से परेशानी, नगर निगम की निष्क्रियता पर उठे सवाल
वाराणसी। काशी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल अस्सी घाट पर अवैध अतिक्रमण लगातार गंभीर समस्या बनता जा रहा है। नगर निगम के उच्च अधिकारियों की कथित लापरवाही के चलते अस्सी घाट स्थित सुलभ शौचालय के पश्चिम दिशा में नगर निगम की कीमती भूमि पर बड़े पैमाने पर कब्जा कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि लगभग 200 से 250 मीटर क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण फैल चुका है, जिससे स्थानीय नागरिकों, नाविकों और पर्यटकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
स्थानीय लोगों के अनुसार करीब पंद्रह दिन पहले नगर आयुक्त ने स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का निरीक्षण किया था और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए थे। बावजूद इसके अब तक न तो अतिक्रमण हटाने की कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया गया। इससे नगर निगम की कार्यशैली और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अवैध अतिक्रमण के चलते घाट क्षेत्र में साफ-सफाई व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हो गई है। नियमित सफाई न होने के कारण चारों ओर गंदगी फैली हुई है और दुर्गंध से वहां रुकना या बैठना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस क्षेत्र में नशीले पदार्थों का सेवन भी बढ़ रहा है, जिससे सामाजिक वातावरण बिगड़ता जा रहा है और महिलाओं व पर्यटकों को असहजता का सामना करना पड़ रहा है।
नाविकों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि नगर निगम इस अवैध अतिक्रमण को हटवा दे तो घाट पर पर्याप्त खुली जगह उपलब्ध हो सकती है, जहां लोग बैठ सकें, घूम सकें और विश्राम कर सकें। साथ ही नियमित सफाई से अस्सी घाट की सुंदरता और स्वच्छता भी बरकरार रह सकती है। एक नाविक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निगरानी के अभाव में लोग खुलेआम कूड़ा-कचरा फेंक रहे हैं, जिससे दुर्गंध लगातार बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि अस्सी घाट वही स्थान है, जहां काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री ने स्वयं स्वच्छता अभियान के तहत फावड़ा चलाकर साफ-सफाई का संदेश दिया था। इसके बावजूद इसी घाट पर अवैध अतिक्रमण का बने रहना प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्सी घाट पर प्रतिदिन देश-विदेश से लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। इसके साथ ही नगर निगम और अन्य विभागों के अधिकारियों का भी यहां नियमित आना-जाना रहता है, फिर भी इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।