बुढ़ापे की लाठी का सहारा पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों भूख उपवास, कहा – नई पेंशन व्यवस्था कहीं से भी हितकारी नहीं
वाराणसी। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर देशभर के कर्मचारी विगत 10 वर्षों से आंदोलनरत हैं। पुरानी पेंशन में कर्मचारियों के 60 वर्ष की अधिवक्ता आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्ति के फल स्वरुप आधे वेतन की राशि पेंशन के रूप में स्वीकृत की जाती रही है। परंतु नई पेंशन योजना में वह सुविधाएं नहीं प्राप्त हो रही हैं, जो पुरानी पेंशन में प्राप्त होती रही है। नई पेंशन योजना से कर्मचारियों को बहुत ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उक्त बातें सोमवार को कैण्ट स्टेशन वाराणसी पर आयोजित भूख उपवास के दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष शशिकान्त श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के जनवरी 2004 और उत्तर प्रदेश सरकार के अप्रैल 2005 से नियुक्त कर्मचारी जो अब सेवानिवृत हो रहे हैं, उन्हें नई पेंशन योजना लागू की गई है। सेवानिवृत के फलस्वरूप पांच हजार भी पेंशन नहीं प्राप्त हो पा रहा है। इस कारण कर्मचारी पुरानी पेंशन को बुढ़ापे के लाठी का सहारा मानते हुए आन्दोलन के आखिरी चरण हड़ताल के पूर्व भूख उपवास कार्यक्रम के माध्यम से केन्द्र व राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।
बताया कि यह प्रदर्शन 11 जनवरी तक प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक चलेगा। मंडल अध्यक्ष दिवाकर द्विवेदी ने बताया कि भूख उपवास कार्यक्रम 9 जनवरी को डी आर एम कार्यालय लहरतारा फ्लाईओवर के नीचे सम्पन्न होगा। भूख उपवास कार्यक्रम में सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि नई पेंशन योजना कहीं से अच्छादित नहीं है। इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था तत्काल लागू होना चाहिए।
संयोजक मण्डल सचिव नार्दन रेलवे मेंस यूनियन सुनील कुमार सिंह ने कहा कि सभी श्रमिक संगठनों द्वारा हड़ताल की घोषणा के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। जिसके लिए 96% कर्मचारियों ने हड़ताल के समर्थन में सहमति पत्र दिया जा चुका है। इस अवसर पर सुनील कुमार सिंह मण्डल सचिव नार्दन रेलवे मेंस यूनियन, दिवाकर द्विवेदी मण्डल अध्यक्ष, दीपेन्द्र कुमार श्रीवास्तव मण्डल मन्त्री, शशिकान्त श्रीवास्तव संयोजक एवं जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद समेत कई लोग उपस्थित रहे।