लाखों रुपये खर्च के बावजूद नहीं शुरू हो रहा आरआरसी केंद्रों का संचालन, जर्जर हालत और अधूरे निर्माण की शिकायत

 

वाराणसी। चिरईगांव विकास खंड के गांवों में सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (एसएलडब्ल्यूएम) योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) केंद्रों का संचालन अभी तक शुरू नहीं हो सका है। कई केंद्रों में निर्माण अधूरा है, दीवारें जर्जर हो रही हैं, और कुछ जगहों पर इनका दुरुपयोग हो रहा है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है।

आरआरसी केंद्रों की स्थिति

जानकारी के अनुसार, चिरईगांव की 76 ग्राम पंचायतों में सूखा, गीला, और प्लास्टिक कचरे को अलग-अलग रखने के लिए आरआरसी केंद्र बनाए गए हैं। कुछ केंद्र गांव के बाहर और कुछ गांव के भीतर हैं। हालांकि, कई केंद्रों में संचालन शुरू होने से पहले ही दीवारें हिलने लगी हैं, और कुछ जगह निर्माण अधूरा पड़ा है। तोफापुर में आरआरसी में गोबर भरा हुआ है, कुकुढ़ा में खाना बनाया जा रहा है, और धोबहीं, बीकापुर, खेतलपुर में पूरी धनराशि खर्च होने के बावजूद केंद्र एक साल से अधूरे हैं। पनिहरी, नेवादा, रमगढ़वां, नारायनपुर, और सोनबरसा के केंद्र जर्जर हो चुके हैं। कई केंद्रों तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं है।

सहायक विकास अधिकारी का बयान

सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) चिरईगांव, कमलेश कुमार ने बताया कि विकास खंड की लगभग सभी 76 ग्राम पंचायतों में आरआरसी केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से ऊकथी, मोकलपुर, गोबरहां, सिंहवार, मिश्रपुरा, चांदपुर, मुस्तफाबाद सहित 12 ग्राम पंचायतों में संचालन शुरू हो चुका है। जब उनसे अधूरे और जर्जर केंद्रों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "हम निरीक्षण कर रहे हैं। स्थिति का जायजा लेकर संबंधित सचिवों को नोटिस जारी करेंगे।"

ग्रामीणों में नाराजगी

ग्रामीणों का कहना है कि लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद आरआरसी केंद्रों का संचालन शुरू न होना सरकारी धन का दुरुपयोग है। कचरा प्रबंधन के लिए बनाए गए ये केंद्र गोबर भंडारण और अन्य अनुचित कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से इन केंद्रों को जल्द चालू करने और निर्माण की खामियों को ठीक करने की मांग की है।