नगर निगम में हंगामा मामले में पूर्व उपसभापति को कोर्ट से मिली जमानत, 20-20 हजार की दो जमानतें दाखिल करने का आदेश

 
वाराणसी। नगर निगम में सदन की बैठक के दौरान हुए हंगामे और मारपीट के मामले में आरोपित पूर्व उपसभापति शैलेंद्र यादव उर्फ बिल्लू को कोर्ट से राहत मिल गई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने सोनारपुरा निवासी शैलेंद्र यादव को 20-20 हजार रुपए की दो जमानतें और बंधपत्र दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, और चंद्रबली पटेल ने उनकी पैरवी की।

मामले के अनुसार, तत्कालीन नगर आयुक्त लालजी राय ने सिगरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 18 अक्टूबर 2004 को दोपहर 3 बजे नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक चल रही थी। इस बैठक में महापौर और कार्यकारिणी समिति के सदस्य उपस्थित थे, और नगर आयुक्त के रूप में वादी भी मौजूद थे। उनके साथ उप नगर आयुक्त केएन राय, सुभाष पाण्डेय, सतीश चन्द्र मिश्र, रमेश चन्द्र सिंह, और सहायक नगर आयुक्त भी सरकारी कार्य कर रहे थे।

इस दौरान, पहले से योजनाबद्ध तरीके से कुछ लोग बैठक में हंगामा करने और गाली-गलौज देने लगे। इसके अलावा, बाहर से भी कुछ लोग जबरन बैठक में घुस आए और धमकाने लगे कि नगर आयुक्त हमारे ठेके और अन्य कार्यों को बंद कर रहे हैं और हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई। जब नगर आयुक्त और उनके अधीनस्थ अधिकारियों ने इसका विरोध किया, तो मंगल प्रजापति, शैलेंद्र यादव, ओपी सिंह, नईम अहमद, भरत लाल, शम्भूनाथ बाटुल, मुरारी यादव, राजेश कुमार यादव आदि सभासदों ने अपने 7-8 अज्ञात साथियों के साथ मिलकर कार्यकारिणी कक्ष के दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया और सभी को जान से मारने की धमकी दी। 

इसके बाद, सभी हमलावरों ने नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर लात-घूंसे बरसाए, जिससे एक अधिकारी की अंगुली में गंभीर चोटें आईं। इसके साथ ही उन्होंने सभागार में तोड़फोड़ की और जमकर हंगामा किया। इस मामले की जांच के दौरान पूर्व उपसभापति शैलेंद्र यादव उर्फ बिल्लू का नाम सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें आरोपित बनाया था।