राणा सांगा को 'गद्दार' कहे जाने पर विवाद, वाराणसी में विरोध प्रदर्शन, बाबर का पुतला जलाकर लाठी डंडे से पीटा, महाराजा के समर्थन में निकाला मार्च
विशाल भारत संस्थान के शोध विभाग ने इस मुद्दे पर विस्तृत ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें यह बताया गया कि राणा सांगा एक महान योद्धा और राष्ट्रभक्त थे। 1518 ईस्वी में उन्होंने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को खटोली के युद्ध में हराया था। जब राणा सांगा ने पहले ही लोदी को परास्त कर दिया था, तो यह दावा करना कि उन्होंने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया, ऐतिहासिक रूप से गलत है।
संस्थान के अनुसार, राजपूत परंपराओं में किसी बाहरी शासक या लुटेरे से सहायता मांगने की परंपरा नहीं थी। बाबर ने खुद राणा सांगा से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन राणा ने उसे कोई मदद देने से इनकार कर दिया। इतिहास में स्पष्ट रूप से उल्लेख मिलता है कि बाबर को भारत में आमंत्रित करने वाले दौलत खान लोदी और आलम खान लोदी थे, न कि राणा सांगा।
बाबर आक्रमणकारी और जिहादी
संस्थान के वक्ताओं ने बाबर को एक विदेशी आक्रमणकारी और लुटेरा करार दिया। खनवा के युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जब बाबर की सेना राजपूतों से युद्ध करने से डरने लगी थी, तो बाबर ने अपने सैनिकों को कुरान की कसम दिलाई और जिहाद का नारा देकर उन्हें उत्साहित किया। बाबर ने युद्ध के बाद राजपूत योद्धाओं के कटे हुए सिरों की मीनार बनवाई और खुद को 'गाजी' की उपाधि दी, जो केवल हिंदुओं को मारने के बाद दी जाती थी।
प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबर का पुतला जलाकर अपना विरोध जताया। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी और मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने भी बाबर की आलोचना करते हुए कहा कि उसे भारत में महिमामंडित करने की कोशिश गलत है।
"राणा सांगा भारत का स्वाभिमान": विशाल भारत संस्थान
प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए—"महाराणा का सम्मान, हिन्दुस्तान का स्वाभिमान", "अब महाराणा का अपमान नहीं सहेंगे"। बाबर का पुतला जलाते हुए उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत में राणा सांगा के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि बाबर कोई महान योद्धा नहीं था, बल्कि एक धूर्त और मक्कार लुटेरा था। उन्होंने कहा, "जब बाबर ने इब्राहिम लोदी पर हमला किया, तब उसे जिहाद की याद नहीं आई, लेकिन जब राणा सांगा के खिलाफ खनवा का युद्ध लड़ा, तो उसने इसे धर्म से जोड़कर अपने सैनिकों को भड़काया।"
"इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है": नाजनीन अंसारी
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि समरकंद का एक लुटेरा बाबर, जिसे अपने ही वतन में शरण नहीं मिली, उससे हिंदुस्तान के वीर योद्धा राणा सांगा मदद मांगेंगे। उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने बाबर का महिमामंडन करने और राणा सांगा को बदनाम करने के लिए इतिहास से छेड़छाड़ की।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय परिषद सदस्य मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि जिन लोगों के पूर्वज बाबर की सेना में भर्ती होकर हिंदुस्तान के खिलाफ लड़े थे, वही लोग आज राणा सांगा का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को अपने गौरवशाली इतिहास को समझने की जरूरत है।
डॉ. नजमा परवीन ने इस अवसर पर कहा कि महाराणा का अपमान करना सीधे तौर पर हिंदुस्तान के स्वाभिमान को चुनौती देने जैसा है। उन्होंने कहा, "हम इसे न भूलेंगे, न ही किसी को भूलने देंगे। मुगलों के समर्थकों को अब भारत छोड़ना पड़ेगा।"
इस विरोध प्रदर्शन के बाद विशाल भारत संस्थान ने घोषणा किया कि वे इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे और संसद में भी इस पर चर्चा कराने के लिए अभियान चलाएंगे। संस्थान के अनुसार, वे इतिहासकारों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक विस्तृत दस्तावेज तैयार करेंगे, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि राणा सांगा के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।
इस अवसर पर संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अर्चना भारतवंशी, मो. शहाबुद्दीन, सत्यम राय, अमित राजभर, अश्वनी, महेंद्र, चंदन, सुनीता, गीता, रीता, राधा, पूनम, सरोज, इली भारतवंशी सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।