प्रधानमंत्री से मिलने की तैयारी में कांग्रेस कार्यकर्ता, जिला प्रशासन से की मांग, राघवेंद्र चौबे बोले - 11 साल से सांसद से नहीं मिल पाई काशी की जनता

पीएम मोदी के काशी दौरे पर कांग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी उनसे मिलने की तैयारी में हैं। मैदागिन स्थित कार्यालय पर बैठक कर इसकी योजना बनाई गई है। 
 

वाराणसी। पीएम मोदी के काशी दौरे पर कांग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी उनसे मिलने की तैयारी में हैं। मैदागिन स्थित कार्यालय पर बैठक कर इसकी योजना बनाई गई है। 

 

कांग्रेस महानगर इकाई के सदस्यों ने घोषणा किया है कि वे रविवार दोपहर में सिगरा स्थित कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना होंगे। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा है, जिसमें उन्होंने वाराणसी के सांसद से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल को अनुमति देने की मांग की है।

 

कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा, "हम प्रधानमंत्री से मिलने का अनुरोध कर रहे हैं, न कि कांग्रेस के सदस्य के रूप में, बल्कि काशी की आम जनता के रूप में। हम चाहते हैं कि प्रशासन हमें यह अवसर दे ताकि जनता को अपने सांसद से मिलने का मौका मिल सके।"

 

कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय पर एकत्रित होकर सिगरा स्टेडियम की ओर मार्च करेंगे। चौबे ने प्रधानमंत्री के समक्ष चार प्रमुख मांगें रखने की बात कही:

1. बाबा विश्वनाथ मंदिर में महाप्रसाद तैयार करने का कार्य स्थानीय स्व-सहायता समूहों से वापस लेकर गुजराती कंपनी अमूल को सौंप दिया गया है। इससे महिलाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस की मांग है कि अमूल को हटाकर पूर्व की व्यवस्था बहाल की जाए।

2. बीएचयू में गैंगरेप के आरोपी के खिलाफ आवाज उठाने वाले 11 छात्र-छात्राओं को निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस मांग करती है कि उनका निलंबन तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

3. सिगरा स्टेडियम, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय संपूर्णानंद के नाम पर था, उसका नाम बदल दिया गया है। कांग्रेस इसे काशी की मर्यादा के खिलाफ मानती है और मांग करती है कि स्टेडियम का नाम पुनः स्वर्गीय संपूर्णानंद के नाम पर रखा जाए।

4. राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के हित में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। कांग्रेस चाहती है कि इसी तरह का अधिनियम उत्तर प्रदेश में भी तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये मुद्दे स्थानीय जनता के हित से जुड़े हैं और वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इन मांगों पर ध्यान दें।