BHU यूरोलाजी के डाक्टर्स ने आपरेशन कर किडनी से निकाला 205 किलो का ट्यूमर, मरीज की बचाई जान 

BHU यूरोलॉजी विभाग के वाह्य रोग विभाग के चिकित्सकों की टीम ने 4.5 घंटे की अथक मेहनत से सफल आपरेशन कर महिला के पेट से 2.5 किलो का ट्यूमर निकालकर उसकी जान बचाई। इससे मरीज को काफी आराम मिल गया। वहीं चिकित्सकों को धन्यवाद दिया। 
 

वाराणसी। BHU यूरोलॉजी विभाग के वाह्य रोग विभाग के चिकित्सकों की टीम ने 4.5 घंटे की अथक मेहनत से सफल आपरेशन कर महिला के पेट से 2.5 किलो का ट्यूमर निकालकर उसकी जान बचाई। इससे मरीज को काफी आराम मिल गया। वहीं चिकित्सकों को धन्यवाद दिया और आशा व उम्मीद के साथ घर लौटी।  

चिकित्सकों के अनुसार 66 वर्षीय महिला मिर्जापुर से आई थी। उसके पेट के बाए हिस्से में दर्द, बुखार और पिसाब में खून आने की समस्या थी । डॉक्टर यशश्वी सिंह ने जांच की तो बाए किडनी में Angiomyolipoma नामक ट्यूमर जो 22.16 सेंटीमीटर साइज का पाया गया l इस बीमारी में किडनी में ट्यूमर कभी भी फट सकता है और मरीज की जान को खतरा रहता है। निशचेतना विभाग के डॉक्टरों की जांच में मरीज को डीसीएमपी नामक दिल की घातक बीमारी का भी पता चला। इसके कारण ऑपरेशन करके ट्यूमर निकालना मुश्किल था और मरीज की जान को खतरा थाl  इसके बावजूद डॉक्टर समीर त्रिवेदी, डॉक्टर यशश्वी सिंह और डॉक्टर उज्जवल की टीम ने रेडियोलॉजी विभाग से बात करके ट्यूमर को नसों के माध्यम से उपचार की रणनीति बनाई। डॉक्टर यशश्वी सिंह ने बताया कि मरीज के साथ बातचीत करके रेडियोलॉजी विभाग की मदद से ट्यूमर का नसों के माध्यम से उपचार किया गया और मरीज को थोड़ा आराम मिला। 

मरीज को 3 महीने पश्चात पुनः दिक्कत होने पर यूरोलॉजी विभाग की सर्जिकल टीम ने विभागाध्याछ डॉक्टर समीर त्रिवेदी की अगुवाई में और डॉक्टर यशश्वी सिंह एवं डॉक्टर उज्जवल के साथ मिलकर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन में निश्चेतता के डॉक्टर संदीप लोहा और कार्डियोलॉजी विभाग के साथ मिल कर 4.5 घंटे के अथक प्रयास के बाद 2.5  किलो का ट्यूमर और साथ में 1.5 लीटर ब्लड जो की मवाद का रूप ले चुका था, निकाला गयाl डॉक्टर समीर त्रिवेदी की अगुवाई में यूरोलॉजी विभाग की सर्जिकल टीम को Angiomyolipoma ट्यूमर का ऑपरेशन करने का पूर्वोत्तर भारत में सबसे ज्यादा महारत हासिल है। विभाग ने पिछले 10 वर्षो में तकरीबन 200 angiomyolipoma किडनी ट्यूमर मरीजों को जीवन दान दिया है। डॉक्टर यशश्वी सिंह ने बताया कि BHU के यूरोलॉजी विभाग की टीम के अथक प्रयास द्वारा मरीज को एक नई जिंदगी मिली और मरीज एक नई उमंग और आशा के साथ घर लौटी है।