बीएचयू में पुरातन छात्र मिलन समारोह का आयोजन, पुराने छात्रों ने नए छात्रों को जीवन में सफल होने का दिया टिप्स 

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय में शताब्दी वर्ष के अंतर्गत पुरातन छात्र मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इसमें पुरातन छात्रों को सम्मानित किया गया। वहीं पुरातन छात्रों ने नए छात्रों को जीवन में सफलता का मंत्र दिया। कार्यक्रम का विषय "सामाजिक परिवर्तन में विधि संकाय की भूमिका : संभावनाएं और चुनौतिया" रखा गया था। इस पर वक्ताओं ने विचार रखे।
 

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय में शताब्दी वर्ष के अंतर्गत पुरातन छात्र मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इसमें पुरातन छात्रों को सम्मानित किया गया। वहीं पुरातन छात्रों ने नए छात्रों को जीवन में सफलता का मंत्र दिया। कार्यक्रम का विषय "सामाजिक परिवर्तन में विधि संकाय की भूमिका : संभावनाएं और चुनौतिया" रखा गया था। इस पर वक्ताओं ने विचार रखे। 


कार्यक्रम में 15 से अधिक राज्यों से विधि संकाय के अधिकांश पुरातन छात्र शामिल हुए। इसमें विभिन्न शिक्षाविद, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, सार्वजनिक क्षेत्र के विधिक अधिकारी, तथा प्रबंधक एवम् अभियोजक अधिकारी पहुंचे। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन अधिकरण के अध्यक्ष अरविंद मिश्रा  ने लॉ स्कूल की संभावनाओं की चर्चा की। उन्होंने छात्रों से बदलते समय के साथ सामंजस्य बनाकर स्मार्ट वर्क करने की सलाह दी। उन्होंने संकाय में अन्य गतिविधियों के लिए विभिन्न क्लब बनाकर प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने एलुमनी मीट की तुलना मायके आने से की और कहा कि " मायके में आकर तो अच्छा ही लगता है।"
 

 

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, बोधगया के हेड एवम डीन प्रो. संजय प्रकाश श्रीवास्तव ने अपनी बात रखी। उन्होंने गुरुः ब्रह्मा गुरुः विष्णु के श्लोक से अपनी अभिभाषण की शुरुआत की। उन्होंने प्रो एके पांडेय की बोली हुई एक पंक्ति "शिक्षक की पहचान उसकी जिह्वा से होती है" का उद्धरण किया। इस बात पर जोर दिया की वर्तमान छात्रों में समस्या ज्ञान की नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की है और विश्वविद्यालयों को इस संदर्भ में निरंतर प्रयास करना चाहिए।

तत्पश्चात प्रो. अली मेहंदी, पूर्व संकाय प्रमुख, विधि संकाय, बीएचयू  ने देश में संवैधानिक और अन्य विधिक विकास में विधि संकाय के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बेसिक स्ट्रक्चर, आर्टिकल 21, कंज्यूमर एक्ट में संकाय के योगदान और पर्यावरण कानून में मुख्य रूप से प्रो. सीएम जरीवाला के योगदान की चर्चा की। उन्होंने अपने अनुभव बताए, जहां उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रो. एस के वर्मा द्वारा उन्हें अपने 'बी एच यू परिवार' से बताने की खुशी की यादें साझा की। 

अगली कड़ी में प्रो. बीएन पांडेय, पूर्व संकाय प्रमुख, विधि संकाय, बीएचयू  ने कहा कि 100 वर्षों की यात्रा पूरी करके विधि संकाय एक महान हस्ती बन चुका है, अब आवश्यकता है की इसे महान बनाए रखें। उन्होंने आगे कहा कि इस बात में कोई शंका नहीं है कि इसकी महानता सुरक्षित रहेगी। अपने अभिभाषण में फली सैम नरीमन की आत्मकथा "बिफोर मेमोरी फेड्स" में संकाय के भूतपूर्व छात्र और प्रतिष्ठित एडवोकेट स्वर्गीय कन्हैयालाल मिश्र के संदर्भ में लिखे हुए शब्दों की पढ़ा "कन्हैयालाल मिश्रा सबसे प्रभावशाली अधिवक्ताओं में से एक थे।" साथ ही उनकी जयंती मानने की बात कही। तत्पश्चात प्रो. जयशंकर सिंह, संकाय प्रमुख, विधि संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, ने अपना अभिभाषण किया। उन्होंने बताया कि उनके संपूर्ण जीवन में विधि संकाय का बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने अपने अनुभव से कहा कि यहां का छात्र जीवन में जहां भी होगा, वहां उसका न केवल प्रभाव होगा बल्कि उसका दबदबा होगा। उन्होंने कहा कि विधि संकाय पर बुक लिखी जानी चाहिए।

उन्होंने पारंपरिक विश्वविद्यालयों में आधुनिक क्रांति के आवश्यकता की बात की ताकि इनके उज्जवल भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. बीसी निर्मल, पूर्व कुलपति, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रांची ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि छात्रों को स्वयं को केवल न्यायिक सेवा तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि विभिन्न अन्य वैश्विक संस्थानों तक अपनी पहुंच स्थापित करनी चाहिए। उन्होंने अपने अभिभाषण में रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता "माइल्स टु गो बिफोर आई स्लीप" को उद्धृत किया। कार्यक्रम में शताब्दी की विभिन्न विशिष्ट स्मृतियों को साझा किया गया। सभी पुरातन छात्रों को "विशिष्ट पुरातन छात्र सम्मान" से सम्मानित किया गया। स्वागत संबोधन संकाय प्रमुख सीपी उपाध्याय ने किया। निर्देशन और संचालन डॉ. क्षेमेंद्र मणि त्रिपाठी ने किया।