बीएचयू अस्पताल के नाम बड़ी उपलब्धि, कार्डियक सर्जरी विधि से बिहार की 35 वर्षीय मरीज का किया सफल ऑपरेशन

 

वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के सीटीवीएस विभाग में गुरुवार को हृदय वाल्व प्रत्यारोपण कार्डियक सर्जरी विधि से 35 वर्षीय मरीज का सफल आॅपरेशन किया गया। इस विधि को सामान्य बोलचाल में की होल कार्डियक सर्जरी भी कहते हैं। 

बिहार की 35 वर्षीय निवासिनी मरीज के हृदय के माइट्रल वाल्व में सिकुड़न की गंभीर समस्या वर्षों से थी, जिसके कारण मरीज के हृदय का आकार बहुत बढ़ गया था। हृदय के बढ़े आकार के कारण सामने से सामान्य ओपन हार्ट सर्जरी से छाती को काटकर ऑपरेशन करने में मरीज को खतरा था। मरीज अत्यंत गंभीर स्थिति में हॉस्पिटल में भर्ती हुई। जिसकी उपरोक्त विधि से शल्य क्रिया की गई। पूर्वांचल क्षेत्र में इस विधि से सर्जरी करने वाला बीएचयू पहला संस्थान है। इस प्रक्रिया में पसलियों के बीच में छोटे से चीरे से ही वाल्व प्रत्यारोपण संपन्न किया गया। मरीज अभी सीटीवीएस आईसीयू में स्वस्थ हो रही है। 

विदित हो कि बीएचयू में जन्मजात हृदय के छिद्र की एमआईसीएस विधि से नियमित सर्जरी हो रही है। सर सुंदरलाल चिकित्सालय में ओपन हार्ट सर्जरी [बाईपास सर्जरी, वाल्व प्रत्यारोपण, हृदय के जन्मजात रोगों एएसडी, वीएसडी, टीओएफ, रेडियो ओपन हार्ट सर्जरी, रक्त वाहिकाओं की सर्जरी, महाधमनी की सर्जरी] नियमित रूप से होती है। सामान्यत: ओपन हार्ट सर्जरी में छाती को काटना पड़ता है, पर एमआईसीएस में नहीं, जिसके कारण मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है और घाव का निशान भी बहुत छोटा होता है। इस सर्जरी में दर्द भी कम होता है और मरीज नौ से 10 दिन के भीतर ही अपनी सामान्य जीवनशैली जी सकता है। पहले यह सुविधा बड़े महानगरों में ही उपलब्ध थी। अब यह सुविधा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भी उपलब्ध है। शीघ्र ही उपर्युक्त विधि से बाईपास भी भी नियमित रूप से प्रारंभ हो जाएगी। 

ऑपरेशन डॉ. अरविंद पांडेय के नेतृत्व में संपन्न किया गया। सर्जन टीम में डॉ. नरेंद्र नाथ दास, डॉ. रत्नेश, निश्चेतक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरबी सिंह, डॉ. अरविंद भालेकर, डॉ. सोनू, डॉ. विवेक, डॉ. सोनल आदि द्वारा संपन्न किया गया। इस शल्य क्रिया को क्रियान्वित करने में चिकित्सालय प्रशासन, विशेषकर कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ल एवं चिकित्साधीक्षक प्रो. केके गुप्ता का सहयोग उल्लेखनीय है।