वीसी ने छात्रों व समिति सदस्यों से किया संवाद, बोले, दूसरे संस्थानों के लिए उदाहरण बन सकता है बीएचयू 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन स्थित सेनेट सभागार में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कुलपति प्रोफेसर सुधीर जैन ने छात्र-छात्राओं व जीवन कौशल विकास पहल समिति के सदस्यों से संवाद किया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। 
 

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन स्थित सेनेट सभागार में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कुलपति प्रोफेसर सुधीर जैन ने छात्र-छात्राओं व जीवन कौशल विकास पहल समिति के सदस्यों से संवाद किया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। 

उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का पूरा ध्यान विद्यार्थियों के कल्याण व चौमुखी विकास पर है और इसी उद्देश्य से विद्यार्थी कल्याण व नेतृत्व क्षमता व जीवन कौशल विकास समूह गठित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों को प्रयास करना होगा कि अधिक से अधिक छात्र और छात्राएं इन पहलों के तहत आयोजित गतिविधियों में प्रतिभागिता करें और लाभान्वित हों। प्रो. जैन ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे नई, रचनात्मक, रुचिप्रद एवं विविध गतिविधियों के माध्यम से इन पहलों के उद्देश्यों की प्राप्ति करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय मं  यूं तो अनेक शैक्षणिक व शिक्षणेतर गतिविधियां होती ही रहती हैं, और बड़ी संख्या में विद्यार्थी इनमें हिस्सा भी लेते हैं, लेकिन आवश्यक यह है कि उनमें ऐसा कौशल और क्षमताएं भी विकसित की जाएं, जिनसे वे अच्छे विद्यार्थी बनने के साथ साथ कुशल पेशेवर व अच्छे इंसान भी बनें, तथा जीवन में आगे बढ़ें। 

नेतृत्व क्षमता व जीवन कौशल की अहमियत बताते हुए कुलपति ने कहा कि समय प्रबंधन, भावनात्मक संतुलन, सम्प्रेषण कौशल, समस्या समाधान, स्वानुशासन, टीम भावना आदि ये सब ऐसी विशेषताएं हैं, जो विद्यार्थियों को न केवल पेशेवर तौर पर सफलता हासिल करने में मदद करेंगी, बल्कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगी। विद्यार्ती कल्याण पहल के बारे में कुलपति ने कहा कि बतौर संस्थान व शिक्षक हमें विद्यार्थियों में यह विश्वास पैदा करना होगा कि किसी भी प्रकार की समस्या व चुनौती की स्थिति में उन्हें विश्वविद्यालय व अपने शिक्षकों से यथासंभव सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त हो सकेगा। इसके लिए उन्हे विश्वविद्यालय की सुविधाओं, योजनाओं व नई पहलों के बारे में अवगत कराना तथा उन तक विद्यार्थिंयों की सुलभ पंहुच सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस क्रम में अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों व खेलों को शामिल करने पर ज़ोर दिया। 

संवाद के दौरान महिला महाविद्यालय से प्रो. ललिता वत्ता, प्रो. निशत अफरोज़, विज्ञान संस्थान से प्रो. सत्येन साहा, प्रो. आरके अस्थाना और अन्य संस्थानों व संकायों के सदस्यों ने पिछले तकरीबन डेढ़ वर्ष के दौरान आयोजित विद्यार्थी कल्याण व नेतृत्व क्षमता एवं जीवन कौशल के तहत आयोजित गतिविधियों व कार्यक्रमों के बारे में सदन को अवगत कराया। कुलपति ने इन पहलों के तहत हो रहे कार्यक्रमों की प्रगति पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का यह प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन इस बारे में नए मुकाम हासिल करने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी हित को केन्द्र में रखकर ही गतिविधियों की योजना व रूपरेखा तैयार की जाए, जिससे वास्तविक व सकारात्मक परिवर्तन लाने की शुरुआत की जा सके। कार्यक्रम का समन्वयन छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा ने किया। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, मुख्य आरक्षाधिकारी प्रो. एस. पी. सिंह, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, वरिष्ठ आचार्य, शिक्षक आदि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।