श्रीरामचरित मानस के श्रवण से दूर हो जाते हैं मन के सारे विकार, पीठाधीश्वर ने बताई मानस की महिमा 

श्रीरामचरित मानस के श्रवण से मन के सारे विकार दूर हो जाते हैं। श्रीरामचरित मानस जीवन जीने की कला है। कलियुग में श्रीरामचरित मानस सुनने, पढ़ने, कहने और लिखने से इंसान जीवन में सभी तरह की बाधाओं को पार कर जाता है। उक्त बातें कथा वाचक कालरात्रि पीठाधीश्वर अखिलदास महाराज ने कही। 
 

वाराणसी। श्रीरामचरित मानस के श्रवण से मन के सारे विकार दूर हो जाते हैं। श्रीरामचरित मानस जीवन जीने की कला है। कलियुग में श्रीरामचरित मानस सुनने, पढ़ने, कहने और लिखने से इंसान जीवन में सभी तरह की बाधाओं को पार कर जाता है। उक्त बातें कथा वाचक कालरात्रि पीठाधीश्वर अखिलदास महाराज ने कही। 

उन्होंने कहा कि श्री रामचरित मानस धर्मसेतु है। श्रीरामचरित मानस जीवन जीने की कला है। श्रीरामचरित मानस सुनने, पढने, कहने और लिखने से मन का विकार दूर हो जाता है। कलियुग में श्री रामचरितमानस पाठ से जनमानस का कल्याण होगा। सनातन धर्म के आर्दश प्रभु श्रीराम हैं। रामायण वेद का स्वरूप है। धर्म का उद्देश्य सर्वे भवंतू सूखिनः, सर्वे सन्तु निरामया चरितार्थ करता है। 

उन्होंने कहा कि श्रीरामचरित मानस में समाज और परिवार की किसी भी बात से होने वाली मतभेदों को दूर करने की क्षमता है। वर्तमान समय में परिवार और समाज को एकमत होने की जरूरत है। समान विचार संकल्प को पूरा करता है। कल्याणकारी मंत्रों से मानव सेवा होती है। जाके सुमिरन रिपू ते नाशा, नाम शत्रुघन वेद प्रकाशा। संगीतमय भजनों पर भक्त झूमते रहे। संत ने कथा के साथ समस्याओं के समाधान के लिए कल्याणकारी मंत्र भी बताया। सत्संग में हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित हुए। कथा में आरती के उपरांत भक्तजनों को प्रसाद का वितरण किया गया।