वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मोहन कृष्ण महाराज ने काशी में सुनाई श्रीमद् भागवत कथा

 

वाराणसी। अर्दली बाजार में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है। जिसके पंचम दिन वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज ने भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया। इन्होंने भगवान की बाल लीलाओं की कथा सुनाई। इस दौरान मनोहर कृष्ण महाराज ने कहा कि भगवान के मृत्यु लोक में आने का मुख्य रूप से तीन उद्देश्य था। पहला उद्देश्य माखन चोरी लीला, दूसरा उद्देश गोचरण लीला जिसे गौ सेवा कहते हैं, तीसरा उद्देश्य महारास लीला भगवान कृष्ण को मारने के लिए बड़े-बड़े राक्षस आए, लेकिन भगवान ने खेल ही खेल में अघासुर, बकासुर, धेनुकासुर, पूतना जैसे राक्षसों का उद्धार कर दिया।

महाराज ने आगे बताया कि भगवान ब्रिज गोपियों की इच्छा को पूर्ण करने के लिए घर-घर जाकर के और माखन का भोग लगाते थे। ब्रिज गोपियों का कहना था कि क्या द्वारिकाधीश मैया यशोदा के हाथ का ही माखन भोग लगाएंगे, क्या हम ब्रिज गोपियों के यहां नहीं आएंगे। भगवान इसीलिए घर-घर जाकर के और माखन का भोग लगाते थें।

महाराज ने आगे कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं। भगवान को सुंदर भाव चाहिए, श्रद्धा चाहिए यदि आपके अंदर श्रद्धा है। भाग है तो गोविंद जरूर कृपा करेंगे। भगवान कृष्ण विदुरानी के यहां जाकर केले के छिलके को स्वीकार किया। भगवान को धन की आवश्यकता नहीं है। भगवान को भाव की आवश्यकता है, भक्तों के आगे चलते हुए गोवर्धन लीला की कथा का विस्तार से वर्णन किया। इंद्र के अभिमान को दूर करने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को अपने कनिष्ठ का उंगली से धारण किया जिस समय भगवान गोवर्धन पर्वत को धारण किए उस समय भगवान की उम्र 7 वर्ष थी भगवान अपने ब्रिज वासियों की शाखाओं की रक्षा करने के लिए ही भगवान ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया जितेंद्र पांडे राजेंद्र पांडे अभय नारायण ईशान शशांक आदि भक्त मौजूद रहे।