BHU, कमच्छा एवम देवा इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर चाइल्ड केयर के सहयोग से एक 'विशिष्ट व्याख्यान एवं परिचर्चा' का आयोजन

 

वाराणसी। मंगलवार 5 दिसम्बर 2023, को 'विश्व दिव्यांगता दिवस' सप्ताह के अवसर पर, शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, कमच्छा एवम देवा इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर चाइल्ड केयर (DISCC) के सहयोग से एक 'विशिष्ट व्याख्यान एवं परिचर्चा' का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य अतिथि फ्रांस के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. जीनमैक्स टैंसेल, डॉ. नीरज खन्ना, एम.डी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, मधुमेह एवं विकलांगता विशेषज्ञ तथा डॉ. परिमल दास, जीनोम / अनुवांशिकी वैज्ञानिक थे।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवम महामना मदन मोहन मालवीय के माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। डॉ. R.N. शर्मा ने सभी का स्वागत एवम अभिवादन किया। कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए डॉ. योगेन्द्र पाण्डेय ने विश्व दिव्यांगता दिवस के इतिहास के बारे में अवगत कराया। डॉ. जीनमैक्स ने Psychology, Prychoanalysis तथा Paychotherepy शब्दों पर प्रकाश डाला एवं उनके बीच मुख्य अंतर बताया। प्रो. अंजली वाजपेयी, विभागाध्यक्ष एवं संकाय प्रमुख, शिक्षा संकाय, ने कार्यक्रम को एक अच्छा प्रयास बताते हुए विशेष शिक्षा विभाग की सराहना की एवं विकलांगता को अलग रूप में सक्षमता (differently abled) के रूप में परिभाषित किया।
प्रो. नीरज खन्ना ने अपना व्यक्तव्य निम्नलिखित आध्यात्मिक पंक्तियां से की-
 'तेरे फूलों से भी प्यार, तेरे काँटों से भी प्यार
 जो भी देना चाहे दे दे करतार, दुनिया के पालनहार'

डॉ. खन्ना ने दिव्यांगता को परिभाषित करते हुए इसके प्रकारों के बारे में अवगत कराया। साथ ही कुछ नई दिव्यांगता, जो हमें भविष्य में देखने को मिल सकती हैं, जैसे- डिजिटल दिव्यांगता, उपार्जित दिव्यांगता इत्यादि की बात की। उन्होंने दिव्यांगों की सेवा को दिव्य सेवा कहा। डॉ. परिमल दास ने 'दिव्यांगता की पहचान, निदान तथा जीर्णोद्धार के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा हम सब में शक्ति है, जरूरत है तो उसे पहचानने की। उन्होंने 'Sustainable' शब्द पर जोर दिया। 

डॉ. तुलसी ने 'परिवार की भूमिका का वर्णन करते हुए मां बाप की आवश्यकता के बारे में चर्चा की। साथ ही उन्होंने कुछ ज्वलंत उदाहरण भी पेश किए। उन बच्चों की, जो अब अपनी दिव्यांगता से परे समाज के मुख्य धारा में जुड़ चुके हैं और अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने हमारे जीवन में मेडिटेशन की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। अंत में डॉक्टर किशोर एच माने ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यकम का संचालन डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव ने किया।