वर्तमान जीवन और आधुनिक युग में रामचरितमानस की उपयोगिता को समझाएगा स्कूल ऑफ राम
वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस केवल भक्तिमार्ग के साधकों का भाव ही पुष्ट नहीं करती, वरन उनका आध्यात्मिक, सामाजिक तथा व्यवाहरिक जीवन का मार्गदर्शन भी करती है। एक सम्पूर्ण व्यावहारिक जीवन दर्शन को समेटे हुए यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसने हम संसारी जीवों के व्यक्तिगत,पारिवारिक,सामाजिक और राजनैतिक जीवन के विभिन्न अंगों के लिए आदर्श स्थापित किया है ।
वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस केवल भक्तिमार्ग के साधकों का भाव ही पुष्ट नहीं करती, वरन उनका आध्यात्मिक, सामाजिक तथा व्यवाहरिक जीवन का मार्गदर्शन भी करती है। एक सम्पूर्ण व्यावहारिक जीवन दर्शन को समेटे हुए यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसने हम संसारी जीवों के व्यक्तिगत,पारिवारिक,सामाजिक और राजनैतिक जीवन के विभिन्न अंगों के लिए आदर्श स्थापित किया है ।
स्कूल ऑफ राम इस रामनवमी के अवसर पर आधुनिकत संदर्भ में रामचरितमानस की प्रासांगिकता" नामक एक माह के प्रमाणपत्रीय कार्यक्रम का शुभारंभ करने जा रहा है। 19 अप्रैल से इसकी कक्षाएँ प्रारंभ हो जाएगी जोकी 13 मई को पूर्ण होगी। इस कोर्स में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस और वर्तमान जीवन एवं आधुनिक युग में उसकी उपयोगिता को समझाया जाएगा। स्कूल ऑफ राम द्वारा इस कोर्स में प्रतिभागिता का शुल्क 51 रुपये रखा गया है।
इस कोर्स का महत्व बताते हुए स्कूल ऑफ राम के संस्थापक प्रिंस ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास इसलिए भी सच्चे अर्थों में आधुनिक कहे जा सकते हैं कि उन्होंने केवल निषेध-पक्ष में ही आधुनिकता को स्वीकार नहीं किया। केवल विघटन,निराशा,कुण्ठा और अनास्था के चार घोड़ों के रथ पर ही उन्होंने जन-जीवन को सवार नहीं किया। उन्होंने एक और हासोन्मुखी का उल्लेख किया और दुसरी और ऐसे आदर्शों का संकेत भी किया जिसके सहारे युग-जीवन का युगनिर्माण हो सकता है। भारत पुनः विश्वगुरु हो सकता है।
इस कोर्स के प्रतिभागी-विद्यार्थी श्री रामचरितमानस के विषय में निम्न जानकारी प्राप्त करेंगे –
आधुनिकता का अर्थ,अवधारणा एवं उसकी परिभाषा
रामचरितमानस में आधुनिकता
रामचरितमानस में वर्णित समन्वय पक्ष की आधुनिक परिवेश में उपादेयता
भावनात्मक,सगुण-निर्गुण,श्रेष्ठ-अश्रेष्ठ कुल,शास्त्र और लोक,व्यक्ति और समष्टि,व्यक्ति और परिवार,राजा और प्रजा आदि का समन्वय
आधुनिक संदर्भ में मानस और मानसकार की प्रासंगिकता
आधुनिक परिवेश और मानस के पात्र
मानसकार की आधुनिकता