BHU : मुंबई के उद्योगपति परिवार ने करवाया था रुइया छात्रावास का निर्माण, धूमधाम से मना शताब्दी वर्ष समारोह
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित रुइया छात्रावास का सोमवार को शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ हुआ। शताब्दी कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी ने किया। उन्होंने कहा किसी भी शिक्षण संस्थान की विरासत उसके पूर्व छात्रों की गौरवशाली परम्परा होती है, जो संस्थान जितना अधिक अपने पूर्व छात्रों को अपने से जोड़कर रखता है, वह उतना ही अधिक समृद्ध होता है।
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित रुइया छात्रावास का सोमवार को शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ हुआ। शताब्दी कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी ने किया। उन्होंने कहा किसी भी शिक्षण संस्थान की विरासत उसके पूर्व छात्रों की गौरवशाली परम्परा होती है, जो संस्थान जितना अधिक अपने पूर्व छात्रों को अपने से जोड़कर रखता है, वह उतना ही अधिक समृद्ध होता है।
भारतीय गुरुकुल परम्परा की इसी बात को ध्यान में रखते हुये रुईया छात्रावास (संस्कृत ब्लाक) के द्वारा अपने सौ वर्ष पूरे होने पर “शताब्दी समारोह” के रूप में द्वि-दिवसीय पूर्वछात्र-समागम के कार्यक्रम का उद्घाटन मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र में किया गया।
रुइया छात्रावास का निर्माण मुंबई के उद्योगपति रुइया परिवार के द्वारा किया गया था। यह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का प्रथम व सबसे प्राचीन छात्रावास है। पहले यह रुइया के ही नाम से था, जिसमे मेडिकल, संगीत व संस्कृत के छात्र एकसाथ रहा करते थे, बाद मे इसको दो भाग में बांटकर संस्कृत ब्लाक और मेडिकल ब्लाक कर दिया गया। 2022 में यह अपना शताब्दी वर्ष विभिन्न प्रकार के आयोजनों के द्वारा धूमधाम से मना रहा है।
कुलपति प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि आने वाला समय संस्कृत व संस्कृति का होगा, सम्पूर्ण राष्ट्रीय शिक्षनिति संस्कृत के आधार पर ही विकसित की गयी है। सम्पूर्ण विश्व संस्कृत में छिपे भारतीय ज्ञान-विज्ञान के तत्वों को जानने, समझने व अनुसंधान के लिये अग्रसर हो रहा है। उन्होने संस्कृत में रोजगार की व्यापक सम्भावनाओं के उपर भी प्रकाश डाला।
स्म्पूर्णान्द् संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा छात्रों को अध्यापन के साथ-साथ छात्रावासीय कार्यो व गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता भी व्यक्तित्व का विकास करती है। छात्रावास में सिर्फ़ रहना ही नहीं होता, बल्कि अलग-अलग स्थानों व प्रदेशों से आये हुये अपरिचित छात्रों के साथ प्रेम-मित्रता करना, सुख-दु:ख में एक दुसरे की मदद करना, नेतृत्व क्षमता व विभिन्न गतिविधियों के मध्यम से उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है।
अध्यक्षता करते हुये कुलगुरु प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने शताब्दी समारोह के आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुये कहा कि महामना की बगिया के पूर्व छात्रों की विशाल परम्परा है, जो अपने विभिन्न प्रकार के योगदानों द्वारा विश्वविद्यालय को गौरवान्वित कर रहे हैं। उन्होने पूर्वछात्रों को संकाय की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों-समितियों से जोडने पर बल दिया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन व महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। स्वागत भाषण व विषय प्रवर्तन संरक्षक प्रो. सरोज कुमार पाढी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन छात्र सलाहकार प्रो. शंकर कुमार मिश्र ने किया था कार्यक्रम का संयोजन व संचालन प्रशासनिक संरक्षक प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी ने किया।