BHU : IIT-BHU में नेशनल वर्कशॉप शुरु, एक्सपर्ट्स ने बताया- कम समय में कोविड वैक्सीन बनाने में AI की महत्वपूर्ण भूमिका

ड्रग डिस्कवरी प्रतिमान में एआई के उपयोग को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) में फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग एआईडीडी-2022 के पहले संस्करण का आयोजन कर रहा है। ड्रग डिस्कवरी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता: क्विकिंग द पेस फ्रॉम बेंच टू बेडसाइड” एक्सेलरेट विज्ञान, विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा प्रायोजित है। यह कार्यशाला औपचारिक रूप से सोमवार को शुरू हुई है, जिसमें पूरे भारत के 20 प्रतिभागियों ने सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम में भाग लिया।
   
 

वाराणसी। ड्रग डिस्कवरी प्रतिमान में एआई के उपयोग को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) में फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग एआईडीडी-2022 के पहले संस्करण का आयोजन कर रहा है। ड्रग डिस्कवरी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता: क्विकिंग द पेस फ्रॉम बेंच टू बेडसाइड” एक्सेलरेट विज्ञान, विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा प्रायोजित है। यह कार्यशाला औपचारिक रूप से सोमवार को शुरू हुई है, जिसमें पूरे भारत के 20 प्रतिभागियों ने सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम में भाग लिया।
   
कार्यक्रम की शुरुआत बीएचयू कुलगीत से की। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित कर भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख प्रो एस हेमलता द्वारा स्वागत भाषण के साथ किया गया।

बता दें कि एआई पारंपरिक दवा खोज दृष्टिकोणों में बदलाव लाने में मदद करेगा। आईआईटी बीएचयू कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर संजय सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। वार्ता के दौरान प्रो संजय सिंह ने कोविड महामारी युग के दौरान एआई द्वारा निभाई गई भूमिका पर जोर दिया और बताया कि कैसे एआई आधारित तकनीकों ने बहुत ही कम समय में टीके और चिकित्सा विज्ञान विकसित करने में मदद की है। 

उन्होंने दवा खोज प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल उद्योग के बीच बहु-विषयक सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यों का भी आह्वान किया। वहीं कार्यशाला के आयोजक डॉ. रजनीश कुमार ने भी सभी को संबोधित किया।
   
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के जैव रसायन विभाग के प्रोफेसर रजत संधीर ने अतिथि व्याख्यान दिया। उन्होंने इनसिल्को की मदद से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी के लिए उपन्यास दवा विकास रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दवा की खोज में वर्तमान रुझानों को संशोधित करने में एआई द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में बताया।
   
 कार्यक्रम का समापन डॉ. सेंथिल राजा फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विभाग द्वारा कंप्यूटर एडेड ड्रग डिज़ाइन के परिचय पर विशेषज्ञ व्याख्यान के साथ हुआ। प्रतिभागियों को अधिक इंटरैक्टिव सत्रों के लिए एस्पिरिन के सक्रिय रूप में एक 3 डी प्रिंटेड मॉडल भी दिया गया।
   
इसके बाद आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के डॉ के लक्ष्मणन ने ड्रग डिस्कवरी में मशीन लर्निंग टूल्स के माध्यम से प्रतिभागियों से बात की। जहां मशीन लर्निंग के विभिन्न पहलू जैसे कि किस प्रकार की तकनीकें हैं, कैसे और कहां ऐसी तकनीकों को लागू करना है, इनपुट डेटा में मुख्य रूप से क्या होना चाहिए, प्रिंसिपल कंपोनेंट एनालिसिस (पीसीए) की मूल बातें बताई।

<a href=https://vimeo.com/649549966?autoplay=1&muted=1><img src=http://i.vimeocdn.com/video/1309165439-c481c0cb74c03f31d72e9164737e4a8878d9a2dcc244a02d8_640 alt=""><span><div class="play-button"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">