रामनगर में उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत, या हुसैन या हुसैन की सदा से गूंज उठा हसन बाग
वाराणसी। रामनगर के हसन बाग टेंगरा मोड़ पर रविवार को 18 बनी हाशिम का ताबूत, ज़ुलज्नाह व अलम मशाल की रौशनी में उठाया गया। वहां मौजूद आज़ादारों की आंखे नम हो गयीं। या हुसैन, या हुसैन की सदा से पूरा हसनबाग़ गूंज उठा।
ताबूत उठाये जाने से पूर्व मौलाना सय्यद मुराद रज़ा ने मजलिस को खेताब करते हुए कहा कि क़र्बला के सभी शहीदों का जनाज़ा जलती हुई ज़मीन पर बे गोरो कफन पड़ा रहा। इसके पूर्व मजलिस का आगाज़ पेशख्वानी के ज़रिए हुआ, जिसमें मुख्तलिफ शोअराए एकराम ने खिराजे अक़ीदत पेश की। मौलाना सय्यद कसीम हैदर रिज़वी ने 18 बनी हाशिम के ताबूत का तार्रूफ कराया। एक-एक करके शहीदों के ताबूत आते रहे और मौलाना क़सीम हैदर रिज़वी शहीदों के शुजाअत, रुख़सत और शहादत का वर्णन करते रहे। इसमें अंजुमन जाफ़रिया दोषीपुरा, अंजुमन सदाये अब्बास नक्खीघाट, अंजुमन ज़ादे आखे़रात, अंजुमन यादगारे हुसैनी तथा अंजुमन मुहाफ़िज़े अज़ा रामनगर ने नौहखानी व सीनाज़नी किया।
बानिए प्रोग्राम मज़हर हुसैन व पेसरान ने लोगों का शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रम में मज़हर हुसैन, मौलाना फ़रमान रज़ा, मौलाना अतहर अब्बास, मौलाना परवेज़ करबलाई, अम्बर तुराबी, सय्यद रज़ी ज़ैदी, इनाम रज़ा, मोहम्मद मेहंदी, समर अब्बास, क़ासिम रज़ा, युसूफ रिजवी (रईस) आज़म रिज़वी, मोहम्म्मद, सोहैल रिज़वी, मोहम्मद असर ज़ैदी, मुजतबा, बाक़र रजा आदि शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन नदीम आब्दी रामनगरी ने किया।