एक करोड़ 1 लाख शिवलिंग पूजन कार्यक्रम विश्व रिकॉर्ड में हुआ दर्ज
वाराणसी। काशी में आयोजत हुई कोटि पार्थिव शिवलिंग पूजन कार्यक्रम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। वर्ल्ड रिकॉडर्स ऑफ इंडिया की टीम ने रविवार को आयोजन समिति को विश्व रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र सौंपा। दक्षिण भारत की संस्था श्रीश्रीश्री विजयानंदनाध गुरु सेवा समिति की ओर शिवसंकल्पमस्तु कार्यक्रम के तहत चेतसिंह किले में एक करोड़ एक लाख और द्वादश शिवलिंग का पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
शिवाला घाट स्थित चेतसिंह किला परिसर में रविवार को वर्ल्ड रिकॉडर्स ऑफ इंडिया की टीम ने पूरे आयोजन की जांच की है। टीम के पवन सोलंकी ने समिति के संस्थापक अध्यक्ष टी. रामचंद्र साई को मेडल और वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया। शाम को हैदराबाद के वैदिक विद्वान श्रीकृष्ण कौंडिय शर्मा को स्मार्तागम विद्वत मणि की उपाधि से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व ब्रह्मश्री डॉ. सामवेद षणमुख शर्मा ने शिव रहस्य पर प्रवचन दिया। संचालन विजय नावड ने किया।
इस दौरान जौनपुर की जिला जज स्मृति, आदिनाथ संप्रदाय के पीठाधीश्वर कल्कि महाराज, श्री चिंतामणि विनायक मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव शास्त्री आदि उपस्थित थे। बता दें कि कार्तिक मास में पहली बार विश्व में एक करोड़ एक लाख पार्थिव शिवलिंग का अर्चन किया गया।
चार माह में हुआ तैयार
पार्थिव शिवलिंग बनाने में चार माह लगे थे। डॉ. जीके बैंकट ने बताया कि 500 सांचे के जरिये पांच हजार महिलाओं और बच्चों ने मिलकर मिट्टी का शिवलिंग तैयार किया है।
ऐसे अनुष्ठान अभी तक नहीं
कलिकाल में 1.01 करोड़ पार्थिव शिवलिंग का पूजन पहली बार हो रहा है। जनरल सेक्रेटरी जीके बैंकट ने बताया कि रुद्राकार (शिवलिंग के पिंड रूप में) में पूजन तो हुए हैं, मगर पार्थिव शिवलिंग का पूजन कभी नहीं हुआ। इससे विश्व का कल्याण होगा और शांति आएगी।
तेलंगाना के जिस तालाब में घूमते हैं सांप, वहां की 65 टन मिट्टी से बनाए शिवलिंग
कोटि पार्थिव लिंगार्चन महानुष्ठान में भगवान शिव की अराधना के लिए ऐसी मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग तैयार किए गए, जहां शिव के गण सर्प की अधिकता है। तेलंगाना के सिद्धिपेट जिले के दो तालाब ऐसे हैं, जहां सांप विचरण करते हैं। उन्हीं तालाबों की मिट्टी को निकालकर एक करोड़ शिवलिंग बनाए गए। आध्यात्मिक एवं धार्मिक संस्था श्री विजयानंदनाथ गुरु सेवा समिति (हैदराबाद) के व्यवस्थापक अध्यक्ष स्वामी तंगीराला रामचंद साई के मन में दो साल पहले कोटि पार्थिव शिवलिंग पूजन का भाव आया था। उन्होंने तभी से तैयारी शुरू कर दी थी।
संस्था के जनरल सेक्रेटरी डॉ. जीके बैंकट ने बताया कि धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से सही मिट्टी के ही पार्थिव शिवलिंग बनाए गए हैं। इसमें वैज्ञानिकों की मदद भी ली गई। ऐसी मिट्टी तलाशी गई, जिसमें सल्फर की मात्रा ज्यादा है। सल्फरयुक्त मिट्टी फटती नहीं है। वहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से ऐसी मिट्टी की खोज की गई, जहां शिव के गणों का वास है। दोनों ही पैमाने पर सिद्धिपेट जिले के दो तालाब की मिट्टी उपयुक्त पाई गई। दोनों तालाबों से 65 टन मिट्टी निकालकर उसमें गोमूत्र, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग बनाए गए।