इस साल ‘भूजल: की थीम पर सेलिब्रेट किया जा रहा विश्व जल दिवस, जानिए इस दिन का महत्व व इतिहास

जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, यह ऐसा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है, जो सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। वहीं आज चिंतनीय स्थिति यह है कि जल की कमी का संकट न केवल भारत बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों की एक विकट समस्या बन चुका है। तो लोगों को जल का महत्व बताने और कैसे अलग-अलग तरीकों से उसे संरक्षित किया जा सकता है इसके लिए हर साल मार्च 2022 को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते है इस दिन का इतिहास, इस साल की थीम व अन्य कई जानकारी।
 

जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, यह ऐसा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है, जो सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। वहीं आज चिंतनीय स्थिति यह है कि जल की कमी का संकट न केवल भारत बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों की एक विकट समस्या बन चुका है। तो लोगों को जल का महत्व बताने और कैसे अलग-अलग तरीकों से उसे संरक्षित किया जा सकता है इसके लिए हर साल मार्च 2022 को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते है इस दिन का इतिहास, इस साल की थीम व अन्य कई जानकारी।

विश्व जल दिवस 2022 की थीम

विश्व जल दिवस हर साल एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल की थीम है - ‘भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना (Groundwater: Making The Invisible Visible)’ जिसे IGRAC यानी इंटरनेशनल ग्राउंडवाटर रिसोर्स अस्सेमेंट सेंटर द्वारा प्रस्तावित किया गया है। 

कैसे मनाया जाता है यह दिन?

विश्व जल दिवस के मौके पर तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। नाटक, कविताओं, भाषण, पोस्टर, तस्वीरों और स्लोगन के जरिए लोगों को जल के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता को समझाने की कोशिश की जाती है। 


जरूरी जानकारी

- पृथ्वी का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन धरती पर मौजूद पानी के विशाल स्त्रोत में से महज एक- डेढ़ फीसदी पानी ही पीने और दैनिक क्रियाकलापों योग्य है।

- दुनियाभर में इस समय करीब दो अरब लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिससे लाखों लोगों की बीमार होकर असमय मृत्यु हो जाती है।

- पृथ्वी पर उपलब्ध पानी की कुल मात्रा में से मात्र तीन प्रतिशत पानी ही स्वच्छ बचा है और उसमें से भी करीब दो प्रतिशत पानी पहाड़ों व ध्रुवों पर बर्फ के रूप में जमा है, बचे एक प्रतिशत पानी का इस्तेमाल पेयजल, सिंचाई, कृषि और उद्योगों के लिए किया जाता है।

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