Labour day 2022 : जानिए 1 मई को क्यों मनाया जाता है श्रमिक दिवस, क्या है इसका इतिहास और इस बार की थीम 

किसी भी देश के विकास में वहां के श्रमिकों का सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि देश को बनाने की नींव यही मजदूर रखता है। इन्हीं को सम्मान देने के लिए हर साल 1 मई को श्रमिक दिवस (Labour day 2022) मनाया जाता है। जिसे लेबर डे, मई डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को मानने का उद्देश्य ना केवल श्रमिकों को सम्मान देना है, बल्कि उनके अधिकारों के प्रति आवाज को बुलंद करना और उन्हें उनके सभी अधिकार देना भी है। आइए जानते है कि 1 मई के दिन श्रमिक दिवस क्यों मनाया जाता है इस बार की थीम, इसे मनाने के पीछे का कारण और इतिहास...
 

किसी भी देश के विकास में वहां के श्रमिकों का सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि देश को बनाने की नींव यही श्रमिक रखता है। इन्हीं को सम्मान देने के लिए हर साल 1 मई को श्रमिक दिवस (Labour day 2022) मनाया जाता है। जिसे लेबर डे, मई डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को मानने का उद्देश्य ना केवल श्रमिकों को सम्मान देना है, बल्कि उनके अधिकारों के प्रति आवाज को बुलंद करना और उन्हें उनके सभी अधिकार देना भी है। आइए जानते है कि 1 मई के दिन श्रमिक दिवस क्यों मनाया जाता है इस बार की थीम, इसे मनाने के पीछे का कारण और इतिहास...

श्रमिक दिवस 2022 की थीम

इस साल श्रमिक दिवस की थीम Act together to build a positive safety and health culture यानी की सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण करने के लिए मिलकर कार्य करना है।

1923 में हुई भारत में श्रमिक दिवस की शुरुआत

अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत होने के 34 साल बाद यानी कि 1 मई 1923 से भारत में चेन्नई से मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। दरअसल, इस दौरान लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इस बैठक को कई संगठनों और सोशल पार्टी का समर्थन मिला, जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का काम कर रहे थे। इस दौरान मजदूरों के लिए लाल रंग का झंडा वजूद में आया और इस पार्टी का नेतृत्व वामपंथियों ने किया। तब से 1 मई को हर साल श्रमिकों के हक की लड़ाई लड़ने और उनके खिलाफ हो रहे शोषण को रोकने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाने लगा।

श्रमिक दिवस का इतिहास

1 मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जहां सभी मजदूर सड़कों पर आ गए थे और अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे थे, क्योंकि उनसे 15-15 घंटे काम लिया जाता था। इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी इसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और 100 से ज्यादा मजदूर घायल भी हुए। इसके बाद 1889 को अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई और इस बैठक में हर मजदूर से केवल 8 घंटे काम कराने पर मुहर लगी। साथ ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया और सभी श्रमिकों के लिए 1 मई को छुट्टी देने का फैसला भी लिया गया। अमेरिका के बाद कई देशों में श्रमिकों के 8 घंटे काम करने से संबंधित नियम-कानून लागू किया गया।

श्रमिक दिवस का उद्देश्य

हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाने का मकसद मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके योगदान को याद करना है। साथ ही उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और उनके खिलाफ हो रहे शोषण को रोकना भी है।

श्रमिक दिवस पर क्या खास होता है

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के मौके पर कई संगठनों में श्रमिक कर्मचारियों को 1 दिन की छुट्टी दी जाती है। इस दिन सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में कई सारे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इतना ही नहीं इस दिन कई कल्याणकारी योजनाओं की भी घोषणा की जाती है, जो श्रमिकों के हित में हो।

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