आदि योगी के धाम में जगी योग की अलख, कैबिनेट मंत्री संग काशीवासियों ने किया योगाभ्यास, दुनिया को योग से निरोग रहने का दिया संदेश
वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आदियोगी बाबा विश्वनाथ के धाम में योग की अलख जगी। जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ सैकड़ों की संख्या में काशीवासियों ने योगाभ्यास किया। इसके माध्यम से पूरी दुनिया को योग की महत्ता बताई और योग से निरोग रहने का संदेश दिया। प्रदेश में चार हजार स्थानों पर लोगों ने उत्साहपूर्वक योग किया।
काशी विश्वनाथ परिसर में योग
काशी विश्वनाथ परिसर में योग दिवस का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री और वाराणसी के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना, भाजपा जिलाध्यक्ष, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा और महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि ने दीप प्रज्वलित कर इस पावन अवसर की शुरुआत की। परिसर में भारी संख्या में जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने एक साथ योग कर आदि योगी की इस भूमि पर योग के प्रति अपनी आस्था को दर्शाया।
योग को विश्व पटल पर पहचान : सुरेश खन्ना
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुरेश खन्ना ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को विश्व स्तर पर एक पहचान दिलाई है। पतंजलि ने लगभग तीन हजार साल पहले योग सूत्र दिए थे, और आज प्रधानमंत्री ने इसे वैश्विक मंच पर स्थापित कर 192 देशों को इससे जोड़ा है।" उन्होंने आगे कहा कि तनाव भरी जिंदगी में योग एक निःशुल्क और प्रभावी साधन है, जो शरीर और मन को स्वस्थ रखता है। प्रभारी मंत्री ने जोर देकर कहा कि शास्त्रों और विद्वानों ने योग के माध्यम से निरोगी काया का संदेश दिया है, और अब इसे आधुनिकता के साथ जोड़कर व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है।
वाराणसी में योग का उत्साह
वाराणसी में जगह-जगह योग सत्र आयोजित किए गए, जिनमें स्कूलों, कॉलेजों, सामुदायिक केंद्रों और मंदिर परिसरों में लोग सुबह-सुबह योग के लिए एकत्र हुए। काशी विश्वनाथ परिसर में आयोजित मुख्य आयोजन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, जहां योग के प्रति लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। यह आयोजन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का माध्यम बना, बल्कि काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी उजागर किया।
भारत की वैश्विक देन
योग दिवस का यह आयोजन भारत की उस प्राचीन परंपरा को जीवंत करता है, जिसकी उत्पत्ति आदि योगी शिव से मानी जाती है। आध्यात्म और संस्कृति के केंद्र काशी में योग के इस महोत्सव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। सुरेश खन्ना के शब्दों में, "योग का प्रचार-प्रसार हमारे देश और समाज के लिए अत्यंत उपयोगी है।"