रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला : चारों भाइयों का मिलन देख सजल हुईं लीला प्रेमियों की आंखे

वाराणसी। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में बुधवार को भरत मिलाप की लीला संपन्न हुई। इस दौरान आज अयोध्या सारे जहां की खुशियां अपने दामन में समेटे इतरा रही थी। श्रीराम वनवास पूरा करके लौटे थे। बेटे के इतंजार में रो रो के पथरा चुकी माता कौशल्या की आंखों में फिर से चमक लौटी थी तो 14 साल से एक कुटिया में निवास कर रहे अगाध भातृ प्रेम की प्रतिमूर्ति भरत का इंतज़ार खत्म होने को था। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो हर तरफ दीवाली मनाई गई। 
 
रामनगर संवाददाता : डॉ राकेश सिंह 

वाराणसी। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में बुधवार को भरत मिलाप की लीला संपन्न हुई। इस दौरान आज अयोध्या सारे जहां की खुशियां अपने दामन में समेटे इतरा रही थी। श्रीराम वनवास पूरा करके लौटे थे। बेटे के इतंजार में रो रो के पथरा चुकी माता कौशल्या की आंखों में फिर से चमक लौटी थी तो 14 साल से एक कुटिया में निवास कर रहे अगाध भातृ प्रेम की प्रतिमूर्ति भरत का इंतज़ार खत्म होने को था। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो हर तरफ दीवाली मनाई गई। 

रोशनी से नहा उठी पूरी अयोध्या। रामराज्य की स्थापना की कल्पनाओं को आज जब उड़ान मिली तो इस जश्न में डूबने को तैयार होने की व्यग्रता किसी से छिपाए नही छिपी। नंदीग्राम में अपने पर्णकुटी में बैठे भरत सोचते रहते हैं कि राम कब अयोध्या लौटेंगे। एक दिन शेष बचा है। तभी उनकी दाहिनी आंख बार-बार फड़कने लगी। उसी समय उनके पास ब्राह्मण के वेश में हनुमान वहां पहुंचे। उन्होंने राम के सकुशल अयोध्या वापस लौटने का उनको समाचार सुनाया। 

भरत ने उनसे उनका परिचय पूछा। परिचय देने के बाद हनुमान राम रावण युद्ध की सारी कहानी सुनाते हैं। भरत उन्हें गले से लगा लेते हैं। भरत हनुमान वापस राम के पास लौट आते हैं। खुशी में डूबे भरत अयोध्या पहुंचकर गुरु वशिष्ठ और माताओं को राम के आने का समाचार सुनाते हुए अयोध्या सीमा पर श्रीराम की आगवानी करने पहुँचते हैं। इसके बाद वह पल आता है जिसे देखने के लिए हर अयोध्यावासी व्यग्र था। चारों भाइयों का मिलन होता है। भरत शत्रुध्न सीता के चरणों में दण्डवत होते हैं। भरत मिलाप की नयनाभिराम झांकी देख हर किसी की आंखे सजल हो उठती हैं। सभी अयोध्या पहुँचते हैं। 

पुष्पक विमान से उतरकर उसे वापस कुबेर के पास भेज दिया जाता है। गुरु वशिष्ट ने राम से उनका कुशलक्षेम पूछा। राम सभी ब्राह्मणों को प्रणाम किए। माताओं को देखकर राम उनके चरण स्पर्श किए और अयोध्या वासियों से मिले। सभी वानर भालूओं का अपने परिजनों से परिचय कराया। गुरु वशिष्ट ब्राह्मणों से कहते हैं कि यदि आप लोग प्रसन्न मन से आज्ञा दे तो रामचंद्र जी राज सिंहासन पर बैठे। ब्राह्मणों ने तत्काल यह कार्य करने की आज्ञा दी। 

गुरु वशिष्ठ सुमंत को बुलाकर राम के राज्याभिषेक की सभी तैयारी पूर्व की भांति करने का आदेश दिया। सुमन्त बताते हैं कि सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। अयोध्या रामराज्याभिषेक की तैयारियों में डूब जाती है। यहीं पर आरती के बाद लीला को विश्राम दिया जाता है।