काशी विद्यापीठ में भूगोल यंत्रों पर कार्यशाला, जीपीएस उपकरणों के प्रयोग का तरीका बताया, सिखाई बारीकियां 

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के भूगोल एवं भू सूचना विभाग में "ज्योग्राफिकल इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्निक्स" विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ कुलपति प्रो. एके त्यागी ने किया। इसमें छात्र-छात्राओं को भूगोल यंत्रों जैसे जीसीएस उपकरणों के प्रयोग का तरीका बताया। वहीं इनकी बारीकियां भी सिखाई गईं। 
 

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के भूगोल एवं भू सूचना विभाग में "ज्योग्राफिकल इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्निक्स" विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ कुलपति प्रो. एके त्यागी ने किया। इसमें छात्र-छात्राओं को भूगोल यंत्रों जैसे जीसीएस उपकरणों के प्रयोग का तरीका बताया। वहीं इनकी बारीकियां भी सिखाई गईं। 
 


मुख्य वक्ता प्रो. उषा सिंह (भूगोल विभाग, बीएचयू) ने भूगोल यंत्रों के प्रयोग और फील्ड सर्वेक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फील्ड वर्क भूगोल विषय का आधार है, जिसे आज के विद्यार्थी भूलते जा रहे हैं। प्रो. नरेंद्र वर्मा (बीएचयू) ने यंत्रों की मदद से मानचित्र निर्माण की विधि को विस्तार से समझाया। प्रो. तारकेश्वर सिंह ने कहा कि जीपीएस और जीआईएस उपकरणों का उपयोग सर्वेक्षण में अपरिहार्य है। 

प्रो. आनंद सिंह (डोभी, जौनपुर) ने भूगोल के अध्ययन में सर्वेक्षण की ऐतिहासिक और आधुनिक प्रासंगिकता बताई। डॉ. शिवानंद यादव (हरिश्चंद्र कॉलेज) ने फील्ड वर्क में यंत्रों की उपयोगिता पर चर्चा की। डॉ. मनोज कुमार सिंह (उदय प्रताप कॉलेज) ने टोटल स्टेशन जैसे आधुनिक उपकरणों का परिचय देते हुए बताया कि यह इलेक्ट्रॉनिक थीओडोलाइट और लेजर तकनीक पर आधारित है। डॉ. उमाकांत सिंह (बलदेव पीजी कॉलेज) ने सेक्सटेंट, डंपी लेवल जैसे उपकरणों के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कुलसचिव डॉ. दीप्ति मिश्रा ने इसे स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। वित्त अधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने भूगोल विषय के प्रति अपने लगाव का जिक्र करते हुए कहा कि यह कार्यशाला विद्यार्थियों के व्यावहारिक ज्ञान को मजबूत करेगी।

आयोजन सचिव डॉ. वंदना सिंह ने स्वागत, संचालन और धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यशाला में डॉ. मारकंडेय सिंह यादव, डॉ. अजय सिंह, डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव, डॉ. उषा पांडे सहित 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य भूगोल यंत्रों के व्यवहारिक और शैक्षणिक उपयोग को विद्यार्थियों तक पहुंचाना था।