फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र पर मकान हड़पने की कोशिश, कर अधीक्षक निलंबित, महिला पर एफआईआर दर्ज

 
वाराणसी। नगर निगम के एक चौंकाने वाले फर्जीवाड़े के मामले में शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उस मामले में की गई है, जिसमें एक महिला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने ससुर, सास और पति को मृत दिखाकर उनके नाम से मकान अपने नाम कराने की कोशिश की थी। इस मामले में पहले ही क्षेत्रीय कर निरीक्षक कुंवर विक्रम सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

मामला तब सामने आया जब विनोद कुमार सिंह नामक व्यक्ति ने नगर आयुक्त अक्षत वर्मा से मुलाकात कर शिकायत की कि अर्पणा सिंह नामक महिला ने भवन संख्या S-3/12 और S-3/14, मोहल्ला डिठोरी महाल, अर्दली बाजार स्थित संपत्ति पर अपने ससुर प्रमोद कुमार सिंह, सास राजकुमारी सिंह और पति मनीष सिंह को मृत घोषित कर मकान अपने नाम स्थानांतरित करवाने के लिए नगर निगम में आवेदन किया था।

नगर निगम द्वारा अर्पणा सिंह के पक्ष में संपत्ति स्थानांतरण की कार्रवाई भी कर दी गई थी, जबकि सच्चाई यह है कि प्रमोद कुमार सिंह एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं और आज भी पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, वहीं मनीष सिंह एक प्रतिष्ठित कंपनी में प्रबंध निदेशक (एमडी) के पद पर कार्यरत हैं।

नगर आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल पत्रावली की दोबारा जांच करवाई। जांच में सामने आया कि अर्पणा सिंह ने जौनपुर नगर पालिका से फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाए थे और उन्हें नगर निगम में प्रस्तुत किया था। साथ ही नामांतरण के लिए जमा किए गए अन्य दस्तावेज भी फर्जी पाए गए।

जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर आयुक्त ने जोनल अधिकारी वरुणापार को आदेशित किया कि अर्पणा सिंह के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों के जरिए जीवित लोगों को मृत बताकर मकान हड़पने की साजिश रचने के आरोप में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई जाए।

इसी मामले में तत्कालीन कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम पर भी गंभीर आरोप लगे कि उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर धारा 213 की नोटिस अपने हस्ताक्षर से जारी की। इस लापरवाही को देखते हुए पहले उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई और उनका वेतन अग्रिम आदेश तक रोक दिया गया।

नगर आयुक्त की संस्तुति पर शासन को भेजे गए पत्र के आधार पर निदेशक, स्थानीय निकाय ने कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम को निलंबित करते हुए उन्हें निदेशालय से संबद्ध कर दिया है। साथ ही पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए अपर निदेशक ऋतु सुहास को जांच अधिकारी नामित किया गया है।