सर्दी का डबल अटैक : पाला गिरने का खतरा, बारिश और बर्फबारी की चेतावनी, जानिए क्या है पश्चिमी विक्षोभ

नई दिल्ली। देश के मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं, जिससे उत्तर भारत में सर्दी का असर और तेज होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड, पाला और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
 

नई दिल्ली। देश के मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं, जिससे उत्तर भारत में सर्दी का असर और तेज होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड, पाला और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकती है।

जनवरी–फरवरी में बढ़ेगी पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जनवरी और फरवरी के दौरान पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता बढ़ सकती है। इसके प्रभाव से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने की संभावना है। पहाड़ों पर लगातार बर्फ गिरने से मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चलेंगी और तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है।

उत्तर भारत में सर्दियों की बारिश से बढ़ेगी ठंड
उत्तर भारत के कई हिस्सों में सर्दियों की बारिश होने पर ठंड का असर और तेज हो सकता है। हालांकि इस बारिश से वायु प्रदूषण में कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश से हवा में जमी धूल और प्रदूषक कण साफ होंगे, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।

कई राज्यों में फिलहाल बारिश के आसार नहीं
मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बारिश की संभावना नहीं है। इन राज्यों में ठंड शुष्क मौसम के साथ बनी रहेगी और रात के समय तापमान गिरने से पाला पड़ने का खतरा बना रहेगा।

दक्षिण भारत और द्वीपों का हाल
दक्षिण भारत में मौसम सामान्यतः शुष्क बना रहेगा और तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखेगा। वहीं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई गई है, जिससे वहां के लोगों को ठंडक और नमी भरा मौसम महसूस हो सकता है।

कुल मिलाकर, आने वाले दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम का मिजाज अलग-अलग रूप दिखाएगा, जहां उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और पहाड़ों पर बर्फबारी चर्चा में रहेगी, वहीं कुछ क्षेत्रों में शुष्क मौसम बना रहेगा।

क्या है पश्चिमी विक्षोभ? जानिए आसान भाषा में

पश्चिमी विक्षोभ मौसम से जुड़ा एक ऐसा तंत्र है, जो पश्चिम दिशा से चलकर भारत तक पहुंचता है और खासतौर पर सर्दियों में उत्तर भारत के मौसम को प्रभावित करता है। यही कारण है कि ठंड के मौसम में बारिश, बर्फबारी और अचानक तापमान गिरने जैसी स्थितियां बनती हैं।

कहां बनता है पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति आमतौर पर भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) के आसपास होती है। वहां से यह बादलों और ठंडी हवाओं के साथ आगे बढ़ता हुआ ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करता है।

भारत में कहां पड़ता है असर

भारत पहुंचते ही इसका पहला असर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों में दिखता है, जहां यह बारिश और बर्फबारी कराता है। इसके बाद पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में सर्दियों की बारिश या कड़ाके की ठंड का कारण बनता है।

सर्दियों में क्यों होता है ज्यादा प्रभावी

सर्दियों के महीनों में वातावरण पहले से ठंडा होता है। ऐसे में जब पश्चिमी विक्षोभ आता है, तो वह ठंडी हवाओं और नमी को साथ लाता है। इससे

  • पहाड़ों पर बर्फबारी

  • मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ना

  • कई जगह पाला गिरने की स्थिति
    पैदा हो जाती है।

पश्चिमी विक्षोभ का फायदा और नुकसान

पश्चिमी विक्षोभ जहां ठंड और परेशानियां बढ़ाता है, वहीं इसके फायदे भी हैं। सर्दियों की बारिश से रबी फसलों को लाभ मिलता है और वायु प्रदूषण में कुछ हद तक राहत भी मिलती है। लेकिन ज्यादा मजबूत विक्षोभ होने पर बर्फबारी, कोहरा और ठंड जनजीवन को प्रभावित कर देती है।

सरल शब्दों में समझें
पश्चिमी विक्षोभ = पश्चिम से आने वाला ठंडा और नम मौसम तंत्र,
जो सर्दियों में उत्तर भारत में बारिश, बर्फबारी और ठंड लेकर आता है।