क्या है Worship Act 1991?’ जिसके जरिए मुस्लिम पक्ष ASI रिपोर्ट को कोर्ट में दे सकता है चुनौती, अयोध्या पर लागू होते होते रह गया...
ASI की रिपोर्ट में जिन प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया है, उसमें बताया गया है कि वर्ष 1669 में औरंगजेब ने मंदिर ढहाया और अपने शासनकाल में 1677-79 ईस्वी के दौरान मंदिर के जगह पर मस्जिद बनाया। मंदिर में ढहाए गए स्तंभों को मस्जिद बनाने में इस्तेमाल किया गया। मंदिर के स्तंभों पर हिंदू कलाकृतियां मिली हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तहखाने में जबरन मूर्तियों के अवशेषों को दबाया गया था। ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार मंदिर का हिस्सा थी। जिस पर अभी भी कलाकृतियां मौजूद हैं। ASI सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि स्तंभों पर औरंगजेब का वह आदेश भी है, जो उसने मंदिर ढहाने के लिए दिया था।
वर्तमान के हालात बताते हैं कि हिंदू पक्ष शुरूआती तौर पर मजबूत हो सकता है। लेकिन उसे अभी सिविल कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के सामने कानूनी परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। हिंदू पक्ष के सामने सबसे बड़ी जो अड़चन आएगी, वह है – वर्शिप एक्ट 1991। मुस्लिम पक्ष इसी एक्ट का हवाला देकर हिंदू पक्ष को संवैधानिक तरीके से रोक रहा है।
राम मंदिर आंदोलन से जन्मा Worship Act (पूजा विशेष अधिनियम) 1991
इस एक्ट के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमें अयोध्या के फ्लैशबैक में जाना होगा। 1990 के दौर में अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन तेज हो चला था। उस समय केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी। सरकार को लगा कि राम मंदिर आंदोलन के कारण देश भर में अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर विवाद बढ़ सकता है। जिसे रोकने के लिए केंद्र सरकार 11 जुलाई 1991 को ‘Places of Worship Act 1991’ लेकर आई।
इस कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस रूप में और जिस समुदाय का था, भविष्य में भी उसी का रहेगा। चूंकि अयोध्या का मामला उस समय हाईकोर्ट में चल रहा था, इसलिए इस मामले को इस कानून से दूर रखा गया।
अब ज्ञानवापी के मामले में भी मुस्लिम पक्ष को इस कानून से उम्मीदें हैं। मुस्लिम पक्ष ASI की सर्वे रिपोर्ट को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकता है।