बीएचयू में वेद मंत्रों के साथ शुरू हुआ शास्त्रार्थ, विद्वानों ने दिए वेदांत, मीमांसा और न्याय शास्त्र के अकाट्य तर्क  

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय 'अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा' का शुभारम्भ गुरुवार की सुबह नौ बजे श्रीगणपति पूजन से हुआ। काशी के वैदिक विद्वानों ने पूजन किया। इसके बाद वेद मंत्रों के साथ शास्र्त्रार्थ का शुभारंभ हुआ। विद्वानों ने वेदांत, मीमांसा और न्याय शास्त्र के उदाहरणों के साथ अपने अकाट्य तर्क प्रस्तुत किए। 
 

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय 'अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा' का शुभारम्भ गुरुवार की सुबह नौ बजे श्रीगणपति पूजन से हुआ। काशी के वैदिक विद्वानों ने पूजन किया। इसके बाद वेद मंत्रों के साथ शास्र्त्रार्थ का शुभारंभ हुआ। विद्वानों ने वेदांत, मीमांसा और न्याय शास्त्र के उदाहरणों के साथ अपने अकाट्य तर्क प्रस्तुत किए। 

सर्ववेद शाखा स्वाध्याय रूप उद्घाटन सत्र में ऋग्वेद की शाकल शाखा का स्वाध्याय रामचन्द्र देव, रोहित देव ने संपादित किया। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा का स्वाध्याय जयकृष्ण दीक्षित, भालचन्द्र बादल, डॉ. मणि झा, नारायण उपाध्याय द्वारा तथा काण्व शाखा का स्वाध्याय श्रीनिवास पुराणिक, अनिरुद्ध पेठकर, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा का स्वाध्याय शेखर द्रविड, नारायण घनपाठी, वीर राघव, कृष्णमुरारि त्रिपाठी द्वारा, सामवेद की कौथुम शाखा का स्वाध्याय पं. हरदत्त त्रिपाठी, अशोक त्रिपाठी द्वारा एवं अथर्ववेद की शौनक शाखा का पारायण गोपाल रटाटे, गोविन्द द्वारा किया गया।

शास्त्रार्थ सभा के प्रथम सत्र में चेन्नई से पधारे वेदान्त, मीमांसा, न्याय आदि शास्त्रों के विश्वविश्रुत विद्वान् आचार्य मणि द्राविड ने मीमांसा शास्त्र के उपक्रमन्याय विमर्श नामक शीर्षक से अपना शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। सहज व मनोरम शैली में अति गम्भीर विषय को प्रस्तुत करना, आपकी विशेषता रही। न्यायशास्त्र के "सर्वांशे प्रमात्वविचारः" विषय पर तिरुपति से पधारे न्याय, ज्योतिष आदि शास्त्रों के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य गणपति भट्ट ने अपना शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। 

शास्त्रार्थ सभा के द्वितीय सत्र में देवप्रयाग, उत्तराखण्ड से पधारे व्याकरण के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य गणेश्वर झा ने "उत्सर्गापवादस्थले बाध्यतावच्छेदकधर्मविचारः" विषय पर शास्त्रार्थ किया। इसके अन्तर्गत सामान्य नियम व विशेष नियमों के स्वरूप आदि पर गहन चर्चा हुई। मीमांसा शास्त्रा के "धर्मलक्षणम्" विषय पर पुणे, महाराष्ट्र से पधारे मीमांसा आदि अनेक शास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान् आचार्य राजेश्वर देशमुख ने शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। वेद प्रतिपादित धर्म के वास्तविक स्वरूप पर गहन व विस्तार से विचार हुआ। वेदान्त दर्शन के "प्रमिताधिकरणम्" विषय पर तिरुपति (आन्ध्रप्रदेश) से पधारे हुए आचार्य केएस सतीश ने शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। इसमें यथार्थ ज्ञान से सम्बद्ध विषयों पर गम्भीर चर्चा प्रस्तुत की। 

न्याय दर्शन के "उपमाननिरूपणम्" विषय पर उज्जैन (मध्यप्रदेश) से पधारे न्याय आदि शास्त्रों के प्रसिद्ध युवा विद्वान् आचार्य सन्दीप शर्मा ने शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया, जिसमें उपमान प्रमाण के ऊपर गम्भीर विवेचना हुई। शास्त्रार्थ में संकायप्रमुख प्रो. राजाराम शुक्ल, प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, डॉ. श्रीराम ए.एस. आदि विद्वानों ने बीच-बीच में प्रश्न किए। कार्यक्रम में छपरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह, प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी, प्रो. चन्द्रमौलि द्विवेदी, प्रो. गोपबन्धु मिश्र, प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी आदि विशिष्ट विद्वानों के साथ ही संकाय के प्रो. कमलेश झा, प्रो. कौशलेन्द्र पाण्डेय, प्रो. पतंजलि मिश्र, प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, प्रो. हरीश्वर दीक्षित की उपस्थिति रही। क्रार्यक्रम में छात्रों ने उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में आए विद्वानों का स्वागत संकायप्रमुख प्रो. राजाराम शुक्ल ने किया। संचालन प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने किया।