वाराणसी : योग से रोगमुक्ति की मुहिम, बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों के लिए योग साधक का संकल्प
वाराणसी। योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि यह एक सम्पूर्ण जीवनशैली है जो तन, मन और आत्मा को संतुलन प्रदान करता है। इसी सोच के साथ गौरव सिंह पिछले 10-15 वर्षों से योग की साधना कर रहे हैं और समाज में नि:स्वार्थ सेवा के भाव से योग को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वे न केवल खुद योग करते हैं, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को भी निशुल्क योग सिखाते हैं।
गौरव सिंह ने बताया कि बीपी, मोटापा, सर्वाइकल जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए योग एक कारगर उपाय है। उनका लक्ष्य ऐसे लोगों को राहत देना है जो महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। उन्होंने बताया कि देशभर में जगह-जगह योग क्लीनिक और अस्पताल खुले हैं, जहां इलाज के नाम पर लोगों से मोटी रकम वसूली जा रही है, यहां तक कि वेंटिलेटर पर रखकर भी लोगों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। इसके विपरीत, वह अपने स्तर पर बिना किसी शुल्क के योग द्वारा लोगों की मदद कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि वे पिछले दो से तीन वर्षों से सैदपुर, मिर्जापुर, बनारस के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों में जाकर नियमित रूप से योग सिखा रहे हैं। खासतौर पर गरीब और असहाय लोगों के लिए यह पहल वरदान साबित हो रही है। उनके अनुसार योग न केवल शारीरिक रोगों को दूर करता है, बल्कि मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) को भी दूर करने में बेहद प्रभावी है।
बच्चों के बीच योग के महत्व पर बात करते हुए गौरव सिंह ने कहा कि आज के समय में बच्चों में एकाग्रता की कमी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए उन्होंने वृक्षासन जैसे योगासनों की मदद से एकाग्रता बढ़ाने के उपाय बताए। मोटापा कम करने के लिए कपालभाति, मधुमेह के लिए मंडूकासन और लंबाई बढ़ाने के लिए ताड़ासन जैसे आसनों की जानकारी दी गई। उनका मानना है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।
गौरव सिंह ने बताया कि इस प्रेरणा का मूल उनके पिता हैं, जिन्होंने उन्हें सिखाया कि योग को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाओ, विशेषकर उन तक जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। योग के माध्यम से समाज को स्वस्थ और सशक्त बनाने की यह पहल लगातार जारी है।