वाराणसी: 12 फरवरी को मनाई जाएगी संत नरहरि दास की जयंती, तैयारियों में जुटा सर्राफा व्यापार मंडल

 
वाराणसी। भक्ति और संत परंपरा में विशेष स्थान रखने वाले सोनार संत नरहरी महाराज की 528वीं जयंती इस वर्ष 12 फरवरी को धूमधाम से मनाई जाएगी। हर साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर संत नरहरी दास की जयंती पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। वाराणसी सर्राफा व्यापार मंडल ने प्रेस वार्ता के जरिए सर्राफा कारोबारियों, सुनार समाज और लोहार समाज के लोगों को इस आयोजन की जानकारी दी।

वाराणसी सर्राफा व्यापार मंडल के अध्यक्ष किशन सेठ ने बताया कि संत नरहरी दास केवल सोनार समाज के संत ही नहीं थे, बल्कि वे महान संत गोस्वामी तुलसीदास के गुरु भी थे। उन्होंने ही रामबोला नामक बालक को आध्यात्मिक शिक्षा देकर तुलसीदास के रूप में प्रतिष्ठित किया। तुलसीदास ने आगे चलकर श्रीरामचरितमानस जैसी अमर कृति की रचना की, जिससे हिंदू समाज में भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा मिली।

भगवान विट्ठल के उपासक थे संत नरहरी महाराज: मुकुंद सेठ

व्यापार मंडल के महामंत्री मुकुंद सेठ ने बताया कि संत नरहरी महाराज सिद्ध पुरुष थे और भगवान विट्ठल के अनन्य भक्त थे। वे अपनी संपूर्ण साधना और भक्ति भगवान विट्ठल की आराधना में समर्पित करते थे। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर ही उन्होंने रामबोला को तुलसीदास नाम दिया और उन्हें भक्ति के मार्ग पर अग्रसर किया।

व्यापारी संगठनों ने जताई सहभागिता

इस जयंती समारोह को लेकर सर्राफा व्यापार मंडल ने विभिन्न व्यापारिक संगठनों के साथ बैठक की। इस अवसर पर संगठन के संयोजक राजकुमार सेठ, अध्यक्ष किशन सेठ, महामंत्री मुकुंद सेठ, कोषाध्यक्ष रत्नाकर वर्मा, संगठन मंत्री सुनील सेठ और मीडिया प्रभारी रोहित सेठ उपस्थित रहे। इसके अलावा, मीरपुर बसही व्यापार मंडल के संरक्षक महेश्वर सिंह और भोजूबीर व्यापार मंडल के अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता सहित अन्य व्यापारी भी इस आयोजन की तैयारियों में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।