वाराणसी : राहुल गांधी को न्यायालय से झटका, एफआईआर निरस्तीकरण आदेश रद्द, फिर से होगी सुनवाई
वाराणसी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्यायिक प्रक्रिया में बड़ा झटका लगा है। विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता नागेश्वर मिश्रा की निगरानी याचिका को स्वीकार करते हुए, एसीजेएम-4 द्वारा 28 नवंबर 2024 को दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है। अब इस मामले की नए सिरे से सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए एक याचिका एसीजेएम-4 की अदालत में दाखिल की थी। उनका आरोप था कि राहुल गांधी ने अमेरिका और भारत में अपने भाषणों के दौरान सिख समुदाय को भड़काने वाले और देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न करने वाले बयान दिए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे न केवल धार्मिक सौहार्द को ठेस पहुंची, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती थी।
हालांकि, 28 नवंबर 2024 को एसीजेएम-4 ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि राहुल गांधी एक लोकसेवक हैं और उन्होंने यह भाषण भारत के बाहर दिया था। इस आधार पर अदालत ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 208 (बीएनएसएस) का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना उनके विरुद्ध अभियोजन नहीं चलाया जा सकता। इसी कारण से याचिका को पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दिया गया था।
इस आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दाखिल की गई, जिसकी पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी (पूर्व अध्यक्ष सेंट्रल बार) और अधिवक्ता अलख नारायण राय ने की। सोमवार को विशेष न्यायाधीश ने इस निगरानी याचिका को स्वीकार करते हुए एसीजेएम-4 का पूर्व आदेश निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि अब इस मामले में दोनों पक्षों को सुनकर, गुण-दोष के आधार पर नया निर्णय लिया जाए। इस न्यायिक निर्णय से राहुल गांधी की कानूनी चुनौतियां बढ़ सकती हैं।