वाराणसी रोपवे : मात्र 16 मिनट में तय होगी 3.85 किलोमीटर दूरी, ट्रैफिक जाम से राहत
वाराणसी। काशी में बन रहा देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे न केवल शहर की ट्रैफिक समस्या का समाधान करेगा, बल्कि पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक सुविधाजनक, सुरक्षित और समावेशी परिवहन विकल्प भी प्रदान करेगा। कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक 3.85 किलोमीटर की दूरी को यह रोपवे महज 16 मिनट में तय करेगा, जिससे शहर में यातायात का बोझ कम होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
विशेष सुविधाओं से लैस होगा रोपवे
मोदी-योगी सरकार की जनसुविधा को प्राथमिकता देने वाली नीति के अनुरूप, इस रोपवे को तकनीकी और मानवीय दृष्टिकोण से बेहद खास बनाया गया है। रोपवे स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम, दिव्यांगजनों और नेत्रहीन यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
• नेत्रहीनों के लिए: सभी स्टेशनों पर मार्गदर्शक टेक्टाइल टाइल्स और ब्रेल लिपि में संकेत उपलब्ध होंगे। टेक्टाइल टाइल्स में विशेष उभार होंगे, जो नेत्रहीन यात्रियों को दिशा-निर्देश देंगे। मोड़ पर बबल टाइल्स (वार्निंग टाइल्स) लगाई जाएंगी, जो पीले रंग की होंगी ताकि अन्य यात्री इन पर न चलें। लिफ्ट के बटनों पर ब्रेल लिपि में अंक अंकित होंगे।
• दिव्यांगजनों के लिए: स्टेशनों पर रैंप और व्हीलचेयर की सुविधा होगी। गंडोला में सीट फोल्ड करने की व्यवस्था होगी, ताकि व्हीलचेयर पर बैठे यात्री भी आसानी से यात्रा कर सकें।
• महिलाओं के लिए: स्टेशनों पर बेबी फीडिंग रूम बनाए जाएंगे, जहां माताएं अपने शिशुओं की देखभाल सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में कर सकेंगी।
रोपवे की विशेषताएं
• मार्ग और स्टेशन: यह रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन से शुरू होकर काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर, और गोदौलिया चौराहे तक कुल पांच स्टेशनों को जोड़ेगा।
• दूरी और समय: 3.85 किलोमीटर की दूरी 16 मिनट में तय होगी।
• संरचना: 29 टावरों के सहारे 45 से 50 मीटर की ऊंचाई पर 148 ट्रॉली कार चलेंगी। प्रत्येक ट्रॉली में 10 यात्री सवार हो सकेंगे।
• क्षमता: एक घंटे में एक दिशा में 3,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे, यानी दोनों दिशाओं में कुल 6,000 यात्री प्रति घंटा आ-जा सकेंगे।
पर्यटको को विशेष लाभ
रोपवे वाराणसी आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए कैंट रेलवे स्टेशन से घाटों और मंदिरों तक पहुंचने का एक नया और सुगम विकल्प प्रदान करेगा। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। यह परियोजना तकनीक और मानवीयता के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण है, जो काशी को एक आधुनिक और समावेशी शहर के रूप में स्थापित करेगा।