वाराणसी: 'नरहरि दास ने मानवीय संवेदना को रामभक्ति का आधार बताया' संत नरहरि दास के प्रतिमा कार्यक्रम में बोले एडीजी रामकुमार
काशी के प्राचीनतम पातालपुरी मठ में संत नरहरि दास की प्रतिमा का लोकार्पण शुक्रवार को मुख्य अतिथि वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक रामकुमार ने किया। इस अवसर पर पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद के तत्वाधान में भारत में सामाजिक एवं धार्मिक समानता की स्थापना में नरहरि दास का योगदान : एक विश्लेषण विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन नरहरपुरा में किया गया।
मुख्य अतिथि अपर पुलिस महानिदेशक रामकुमार ने वैदिक ब्राह्मणों के मन्त्रोच्चारण के साथ नरहरि दास की पवित्र प्रतिमा का लोकार्पण किया एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी की शुरुआत की। नरहरि दास जी की मूल गद्दी पर प्रतिमा लगाई गई है, जिसकी सुबह शाम पूजा आरती की जाएगी।
आजाद हिन्द बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी ने तिलक लगाकर एवं आरती कर मुख्य अतिथि रामकुमार का स्वागत किया। महंत बालक दास एवं महंत सर्वेश्वर शरण दास ने रामकुमार को अंगवस्त्रम ओढाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एडीजी रामकुमार ने कहा कि सनातन संस्कृति पूरे मानवता के लिए है। नरहरि दास ने रामभक्ति से भारत की भूमि को धन्य किया। भक्ति सनातन रूप से प्रचलित एक परम्परा रही है। इसे भारत के संतों ने आगे बढ़ाया। सनातन धर्म में समभाव है। बिना किसी धर्म, जाति के भेद किये नरहरि दास ने सबको राम की भक्ति दी। यह रामकाल चल रहा है। राम का नाम परिवार से लेकर देशों तक सबके लिए जरूरी है। धर्म, जाति का भेद किये बिना सर्व समाज को जोड़ना ही रामभक्ति है। भारत मे धार्मिक एवं सामाजिक समानता की स्थापना की नींव नरहरि दास ने रखा, जो बाद में चलकर आंदोलन का रूप ले लिया।
इस अवसर पर मुख्यवक्ता विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव ने कहा कि जब तुर्कों ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया, तब नरहरि दास के रामभक्ति आंदोलन ने पीड़ित हिन्दुओं में आत्मविश्वास भरा। तुलसीदास को रामभक्ति की प्रेरणा अपने गुरु नरहरि दास से ही मिली। जाति से भगवान तक पहुंचने का विरोध कर भक्ति की महत्ता प्रचलित की। काशी में पवित्र पातालपुरी मठ संत नरहरि दास की तपोस्थली रही है। नरहरि दास के रामभक्ति आंदोलन ने दुनियां को समरसता और मानवीय संवेदना का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने कहा कि सभी जातियों के लिये संत नरहरि दास ने राम तक पहुंचने का मार्ग बताया और रामभक्ति को ही जीवन का आधार बताया।
हिन्दू मुस्लिम संवाद केन्द्र की नेशनल कोऑर्डिनेटर आभा भारतवंशी ने कहा कि सामाजिक बुराइयों से लड़ने और खूबसूरत संसार के निर्माण के लिए भगवान श्रीराम के रास्ते पर चलना होगा। सबसे न्यायपूर्ण, अच्छे राज्य के निर्माण का अर्थ ही रामराज्य है। इसी की प्रेरणा नरहरिदास ने मानव समाज को दिया था।
रामपंथ के धर्मप्रवक्ता डॉ० कविन्द्र नारायण ने कहा कि राम का मार्ग ही दुनिया को शांति के रास्ते पर ले जा सकता है। नरहरि दास न होते तो भारतीय समाज को रामभक्ति का रस न मिलता।
विशिष्ट अतिथि मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि राम जनमानस की आस्था एवम भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। भगवान राम ने युद्ध भी किया तो दिलों को जोड़ने की कोशिश की। देश की संस्कृति को नष्ट नहीं किया और न ही सत्ता हड़पने की कोशिश की। आज पूरी दुनिया को प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलने की ज़रूरत है। तभी दुनिया युद्ध सर शांति की ओर जा सकता है। आज वर्चस्व की लड़ाई में पूरी दुनिया मे संस्कृतियों को नष्ट किया जा रहा है। स्त्री की अस्मिता को रौंदा जा रहा है। सनातन संस्कृति आज भगवान राम को पाकर धन्य है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने दिया। इस अवसर पर महंत सियाराम दास, महंत शिवकुमार दास, महंत अवध किशोर दास, महंत श्रवण दास, चंद्रभूषण दास, कोतवाल विजय राम दास, अनिल शास्त्री, नौशाद अहमद दूबे, डॉ० नजमा परवीन, श्रीराम शास्त्री, शुभम सेठ, सौरभ पाण्डेय, भईया लाल जायसवाल, अमित पुरोहित, प्रदीप शास्त्री, अफसर बाबा, अफरोज खान, फिरोज खान, आकाश यादव, अब्दुल्ला, सैफ सिद्दीकी, अजीत सिंह टीका, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग मौजूद रहे।