वाराणसी में बाढ़ का खतरा, कॉलोनियों में घुसा पानी, 150 परिवार प्रभावित, घरों को छोड़ राहत शिविरों की शरण लेने लगे लोग

 

वाराणसी। भोलेनाथ की नगरी काशी इन दिनों गंगा के उफान से जूझ रही है। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी के कारण तटवर्ती इलाकों के लोग बाढ़ के खतरे से चिंतित हैं। शनिवार को दिन में जलस्तर बढ़ने की गति 10 सेंटीमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन रात आठ बजे तक यह दर 8 सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गई। गंगा के जलस्तर में रविवार को भी तेजी बनी रही। जिससे पानी सीवर के रास्ते से कॉलोनियों में प्रवेश करने लगा। वाराणसी में तटवर्ती इलाकों में लगभग 150 परिवार अपने घरों को छोड़ अन्यत्र जगहों पर शरण लिये हुए हैं।  

इस बढ़ाव के चलते सामने घाट, वरुणा नदी के तटवर्ती इलाकों और ढाब क्षेत्र के लोग सतर्क हो गए हैं। सीरगोवर्धनपुर के नाले से पानी आसपास की कॉलोनियों में घुसने लगा है, जिससे नगवा नाले के पास के इलाके खतरे में हैं। यदि पानी का स्तर पांच फीट से अधिक हो जाता है, तो गंगोत्री नगर, संगमपुरी, नगवा दलित बस्ती, सोनकर बस्ती, डुमरांव बाग कॉलोनी और साकेत नगर नाले के किनारे बसी बस्तियाँ जलमग्न हो जाएंगी। 

सामने घाट क्षेत्र के मारुति नगर, गायत्री नगर, पटेल नगर, विश्वास नगर, हरिओम नगर, रत्नाकर विहार, कृष्णापुरी कॉलोनी और बालाजी नगर कॉलोनी के निवासी भी बाढ़ से प्रभावित हो रहे हैं। गंगा का पानी बैकफ्लो होकर वरुणा कॉरिडोर में फैल गया है, जिससे किनारे बने मकानों के निचले तल में पानी घुस चुका है। मारुति नगर में भी घरों में पानी भरने लगा है, और आशंका है कि देर रात तक सैकड़ों घर जलमग्न हो जाएंगे।

गंगा के जलस्तर में हो रही इस वृद्धि से लोग अपने घरों को छोड़कर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। मारुति नगर क्षेत्र में पानी बहुत तेजी से बढ़ रहा है, और लोग अपने घरों का सामान निकालने में लगे हुए हैं। जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है, लोग किराए के मकानों या रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं। बाढ़ के कारण न सिर्फ गंगा का पानी, बल्कि शिविरों का पानी भी घरों में घुसने लगा है। 

बाढ़ का पानी घटने के बाद भी महीनों तक इस क्षेत्र में समस्याएँ बनी रहती हैं। जगह-जगह पानी जमा होने से डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही, मिट्टी का कटाव भी तेज हो जाता है। मारुति नगर का नाला भी बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए बाँध बनाया गया है, लेकिन यह पूर्णतः प्रभावी नहीं दिख रहा है।