वाराणसी : ग्रामीण क्षेत्रों में घने कोहरे और पाले से खेतों में बढ़ी चिंता, सरसों-आलू की फसल पर मंडराया संकट

वाराणसी। ग्रामीण इलाकों में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का असर लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह और देर रात दृश्यता बेहद कम हो जाने से जहां आम जनजीवन प्रभावित है, वहीं खेतों में खड़ी फसलें भी मौसम की मार झेल रही हैं। खासतौर पर सरसों और आलू की फसलों पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
 

वाराणसी। ग्रामीण इलाकों में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का असर लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह और देर रात दृश्यता बेहद कम हो जाने से जहां आम जनजीवन प्रभावित है, वहीं खेतों में खड़ी फसलें भी मौसम की मार झेल रही हैं। खासतौर पर सरसों और आलू की फसलों पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

फूल की अवस्था में सरसों, तेजी से बढ़ रहा आलू
इस समय सरसों की फसल फूल आने की अवस्था में है, जबकि आलू की फसल तेजी से बढ़ रही है। लगातार घना कोहरा और बढ़ती ठंड खेतों में अत्यधिक नमी पैदा कर रही है। इसके चलते पौधों की पत्तियों पर पाले की परत जमने लगी है, जिससे फसलों के सामान्य विकास पर सीधा असर पड़ रहा है।

किसानों की चिंता, पैदावार घटने की आशंका
मिर्ज़ामुराद क्षेत्र के किसान अवधेश सिंह और पारस सिंह बताते हैं कि सरसों में फूल आने के समय यदि लगातार कोहरा बना रहे तो कीट लगने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इससे फूल झड़ सकते हैं और दानों का विकास प्रभावित होता है। किसानों का कहना है कि मौजूदा मौसम की स्थिति बनी रही तो पैदावार में भारी गिरावट दर्ज की जा सकती है।

20 से 30 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान
स्थानीय कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जहां गेहूं की फसल को ठंड से कुछ लाभ मिलता है, वहीं सरसों और आलू के लिए यह मौसम नुकसानदायक साबित हो सकता है। किसानों का अनुमान है कि यदि आने वाले दिनों में मौसम में सुधार नहीं हुआ तो सरसों और आलू की उपज में 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इससे किसानों की आय पर गहरा असर पड़ेगा और खेती की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा।

बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक की सलाह
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संकाय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.के. सिंह ने बताया कि घने कोहरे और पाले की स्थिति में सरसों की फसल पर कीट और रोग का प्रकोप बढ़ने की संभावना रहती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि पाले के प्रभाव को कम करने के लिए खेतों में हल्की सिंचाई करें। मौसम साफ होने पर उचित कीटनाशक का छिड़काव करना भी जरूरी है।

डॉ. सिंह के अनुसार आलू की फसल में भी जल प्रबंधन और लगातार निगरानी बेहद आवश्यक है। समय रहते सही उपाय अपनाए जाएं तो फसलों को होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।