वाराणसी : लंका थाना में सिपाही के साथ मारपीट, दो आरक्षियों पर मुकदमा, छानबीन कर रहे अधिकारी
वाराणसी। लंका थाना परिसर से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना बुधवार रात करीब 9:40 बजे की है, जब लंका थाना के बैरक में यूपी पुलिस के सिपाही और पूर्व आर्मीमैन मनोज कुमार सिंह के साथ शराब को लेकर दो अन्य सिपाहियों ने मारपीट की। पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच की जिम्मेदारी एसीपी भेलूपुर गौरव कुमार को सौंपी गई है।
मनोज कुमार सिंह (पुत्र रवि प्रताप सिंह) का कहना है कि उन्हें हेड कांस्टेबल भानु प्रताप और कांस्टेबल दुर्गेश सरोज ने बैरक में बुलाया। जब वे वहां पहुंचे तो दोनों शराब के नशे में थे और बातचीत के दौरान गाली-गलौज पर उतर आए। मनोज ने बताया कि जैसे ही उन्होंने विरोध किया, दोनों ने भारतीय सेना और उनके भूतपूर्व सैनिक होने पर आपत्तिजनक टिप्पणी करनी शुरू कर दी। इसके बाद उन्होंने जान से मारने की धमकी दी और मारपीट शुरू कर दी। मनोज ने बताया कि हमले के दौरान उन्हें पीठ, पेट और सीने पर गंभीर चोटें लगीं। यहां तक कि उनका गला दबाकर जान लेने की कोशिश की गई। इसी बीच कांस्टेबल कमल ने दौड़कर हस्तक्षेप किया और उनकी जान बचाई। उन्होंने बताया कि घटना की वीडियो बनाने की कोशिश की थी, लेकिन हमलावरों ने पकड़कर और मारपीट की। बाद में इंस्पेक्टर लंका को घटना की जानकारी दी गई।
पीड़ित मनोज कुमार सिंह का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है। उन्होंने 1 सितंबर 1995 को भारतीय सेना में भर्ती होकर लंबी सेवा दी और 30 अगस्त 2019 को कलर सर्विस के बाद पेंशन प्राप्त की। कारगिल युद्ध में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा संभाला था। इसके अलावा 1998 से 2001 तक जम्मू-कश्मीर के बनिहाल क्षेत्र में कमांडो “घातक” यूनिट में भी तैनात रहे। अपने उत्कृष्ट कार्यों के चलते उन्हें अमेरिका और भूटान की सेनाओं के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास करने का अवसर भी मिला। सेना सेवा के दौरान उन्हें कई प्रशंसा पत्र और मेडल भी प्राप्त हुए। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने यूपी पुलिस में आवेदन किया और 30 मई 2021 को सेवा ज्वाइन की। ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग 5 जनवरी 2022 को लंका थाने में हुई।
मामले ने तूल तब पकड़ा जब घटना की जानकारी मनोज ने अपने परिवार को दी। उनका पुत्र दिल्ली से वाराणसी पहुंचा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ट्वीट कर न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद घटना की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंची। बताया जाता है कि डीआईजी स्तर तक के अधिकारियों और नेताओं के फोन थाने पर आने लगे। एसीपी भेलूपुर गौरव कुमार ने तत्काल लंका थाने पहुंचकर दोनों पक्षों को बुलाया और करीब 20 मिनट तक पूछताछ की। बाद में पीड़ित को अस्पताल में मेडिकल कराया गया और मुकदमा पंजीकृत किया गया। पूर्व आर्मीमैन और वर्तमान सिपाही के साथ हुई इस घटना से न केवल पुलिस विभाग की अनुशासनहीनता उजागर हुई है बल्कि यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि विभाग के भीतर ही वर्दीधारी किस तरह की करतूतों में लिप्त हैं। अब देखना होगा कि जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।