वाराणसी : सीडीओ ने की आयुष्मान योजना की समीक्षा, सूचीबद्ध अस्पताल संचालकों को दी हिदायत, शिकायत मिली तो रद्द होगा रजिस्ट्रेशन
वाराणसी। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों में लाभार्थियों को समय पर और नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराने को लेकर प्रशासन पूरी तरह सख्त हो गया है। शनिवार को राइफल क्लब में आयोजित बैठक में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी लाभार्थी से इलाज के नाम पर धनराशि वसूलना नियमों का उल्लंघन है और ऐसा करने वाले अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
सीडीओ ने कहा कि जिन लाभार्थियों ने इलाज के दौरान कोई भुगतान किया है, उनकी राशि तत्काल वापस की जाए। यदि चिकित्सालय भुगतान वापस नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ जिला स्तर पर कार्रवाई के साथ-साथ राज्यस्तरीय संस्था "साचीज" को सूचित कर उनकी मान्यता समाप्त की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में 26 लाभार्थियों की ऐसी शिकायतें सामने आई थीं, जिनमें से 20 को उनकी धनराशि वापस मिल चुकी है, 3 मामलों की प्रक्रिया जारी है और 3 मामलों को राज्य संस्था साचीज को भेजा गया है।
प्रामाणिकता और पारदर्शिता पर जोर
सीडीओ ने निर्देश दिए कि अस्पताल आने वाले सभी मरीजों से यह सहमति पत्र लिया जाए कि वे आयुष्मान कार्ड धारक हैं या नहीं। आधार कार्ड के माध्यम से इस जानकारी को पोर्टल पर प्रमाणित किया जाए। इसके साथ ही सभी अस्पतालों को योजना के प्रचार-प्रसार हेतु हेल्प डेस्क, कियोस्क, सूचना सामग्री और आयुष्मान मित्र की उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। हेल्प डेस्क पर अस्पताल व आयुष्मान मित्र का संपर्क नंबर प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य किया गया है।
सूचना प्रदर्शित करना अनिवार्य
यू.पी. क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) नियम 2016 के तहत अस्पताल परिसर में पीले रंग के बैकग्राउंड वाले डिस्प्ले बोर्ड पर अस्पताल का नाम, संचालक का नाम, बेड की संख्या, चिकित्सा पद्धति, उपलब्ध सेवाएं और चिकित्सकीय स्टाफ का विवरण हिंदी में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाए। साथ ही अस्पताल के मुख्य द्वार पर शिकायत पेटिका भी लगाई जाए।
दावों की प्रक्रिया में नियमितता और पारदर्शिता की आवश्यकता
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने कहा कि छह माह से पहले निरस्त किए गए क्लेम को रिवोक करने की कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य शिकायत निवारण समिति के समक्ष 30 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि अक्सर तकनीकी खामियों की वजह से क्लेम निरस्त हो जाते हैं, जैसे बिना एचपीई रिपोर्ट, दो पैकेज साथ लेना, या गलत तरीके से आईपीडी में दिखाना। बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस.एस. कन्नौजिया, डॉ. पीयूष राय, डीजीएम सागर कुमार, नावेन्द्र सिंह एवं निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि प्रबंधक भी मौजूद रहे।