वाराणसी में कफ सिरप सिंडिकेट का बड़ा भंडाफोड़, दो आरोपी गिरफ्तार - 7 करोड़ की अवैध बिलिंग का खुलासा
वाराणसी। थाना कोतवाली कमिश्नरेट वाराणसी क्षेत्र में पंजीकृत केस मुकदमा अपराध संख्या 235/2025 में बड़ा खुलासा हुआ है। कफ सिरप के अवैध कारोबार से जुड़े दो अभियुक्तों को पुलिस और एसओजी टीम ने गिरफ्तार किया है। मामला NDPS एक्ट के गंभीर प्रावधानों और BNSS की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। इस मामले में डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल और एडीसीपी काशी एवं एलआईयू शरवण टी ने मीडिया के सामने अहम खुलासे किये हैं।
पुलिस के अनुसार गिरफ्तारी 07 दिसंबर 2025 रात 20:50 बजे थाना कोतवाली परिसर में की गई। पुलिस ने पूछताछ में इस पूरे ड्रग सिंडिकेट की गहरी परतें उजागर की हैं।
गिरफ्तार किए गए दो अभियुक्त
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विशाल कुमार जायसवाल, उम्र 34 वर्ष
निवासी: हुकुलगंज, थाना लालपुर-पांडेयपुर, वाराणसी -
बादल आर्य, उम्र 33 वर्ष
निवासी: हुकुलगंज, थाना लालपुर-पांडेयपुर, वाराणसी
पुलिस इनके अन्य आपराधिक इतिहास की भी जांच कर रही है।
कैसे चलता था यह अवैध कफ सिरप सिंडिकेट? — बड़ा खुलासा
पूछताछ में सामने आया कि अभियुक्तों ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत—
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फर्जी रेंट एग्रीमेंट
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फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र
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कूटरचित दस्तावेज
बनवाकर ड्रग लाइसेंस प्राप्त किया।
इन लाइसेंसों के आधार पर बड़ी मात्रा में कोडीनयुक्त कफ सिरप खरीदा जाता था और फिर अलग-अलग माध्यमों से अवैध रूप से बेचा जाता था।
अवैध खरीद–फरोख्त के भयावह आंकड़े
हरी ओम फार्मा (विशाल जायसवाल की फर्म)
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शैली ट्रेडर्स, रांची (झारखंड) से 4,18,000 शीशी कफ सिरप खरीदी
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लगभग 5 करोड़ रुपये में अवैध बिक्री
काल भैरव ट्रेडर्स (बादल आर्य की फर्म)
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शैली ट्रेडर्स, रांची से 1,23,000 शीशी कफ सिरप खरीदी
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लगभग 2 करोड़ रुपये में अवैध बिक्री
कुल अवैध व्यापार - करीब 7 करोड़ रुपये
इसके लिए फर्जी ई-वे बिल भी तैयार किए गए। जिन वाहनों के नंबर बिल में डाले गए, उनके मालिकों ने साफ कहा कि उन्होंने कोई कफ सिरप सप्लाई नहीं की। इससे दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा पुष्टि हुई।
पूछताछ में बड़ा खुलासा - “फर्म सिर्फ दिखावा थी”
दोनों अभियुक्तों ने बताया—
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मुलाकात डीएसए फार्मा, खोजवा भेलुपुर के माध्यम से हुई।
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परिचय हुआ:
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अमित जायसवाल, प्रोपराइटर – हरी फार्मा & सर्जिकल एजेंसी, सोनिया
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शुभम जायसवाल, शैली ट्रेडर्स के कंपीटेंट पर्सन
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इन्होंने कम समय में ज्यादा कमाई का लालच देकर फर्जी फर्में खुलवाईं।
कैसे चलता था सिंडिकेट?
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दिवेश जायसवाल हर महीने ₹30,000 – ₹40,000 नकद कमीशन देता था।
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फर्म के खाते में आए पैसे तुरंत शैली ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर करा दिए जाते थे।
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दिवेश जायसवाल के पास आरोपियों की बैंक डिटेल व OTP नियंत्रण था।
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माल कभी फर्म तक पहुंचता ही नहीं था — सीधे अन्य जगह भेज दिया जाता था।
अभियुक्तों ने स्वीकार किया—
“हमारी फर्में सिर्फ नाम की थीं, पूरा माल और व्यापार सिंडिकेट संचालित करता था।”
गिरफ्तारी के समय कोई बरामदगी नहीं
इस चरण में पुलिस ने कोई माल बरामद नहीं किया है, लेकिन आगे की जांच में और गिरफ्तारी व बरामदगी संभव है।
गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम
(1) प्रभारी निरीक्षक दया शंकर सिंह
(2) उप निरीक्षक गौरव सिंह – प्रभारी एसओजी प्रथम
(3) उप निरीक्षक प्रिंस तिवारी
(4) उप निरीक्षक अंकित कुमार सिंह
(5) उप निरीक्षक विजय कुमार यादव
(6) हेड कांस्टेबल विजय शंकर राय
(7) हेड कांस्टेबल प्रमोद सिंह
(8) हेड कांस्टेबल चन्द्रभान यादव
(9) हेड कांस्टेबल जितेन्द्र यादव
(10) आरक्षी अखिलेश कुमार
(11) आरक्षी अंकित मिश्रा
(12) आरक्षी प्रशांत तिवारी (सर्विलांस सेल)
(13) आरक्षी अश्वनी सिंह (सर्विलांस सेल)
जांच जारी — जल्द ही बड़े नामों पर गिर सकती है गाज
पुलिस अब इस नेटवर्क के
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सरगना
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वित्तीय लेन-देन
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फर्जी लाइसेंस जारी करने में शामिल व्यक्तियों
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ट्रांसपोर्ट और बिलिंग नेटवर्क
की गहन जांच कर रही है। जल्द ही इस कफ सिरप सिंडिकेट के और बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
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